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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
यह सत्य है कि पहले एक ख्याल दिल पर दस्तक देता है । फिर दिल को शब्दों की तलाश रहती है। जब शब्द मिल जाएं तो वह ख्याल शब्दों की आकृति में परिवर्तित होकर साहित्य की किसी एक विधा का हिस्
यह सत्य है कि पहले एक ख्याल दिल पर दस्तक देता है । फिर दिल को शब्दों की तलाश रहती है। जब शब्द मिल जाएं तो वह ख्याल शब्दों की आकृति में परिवर्तित होकर साहित्य की किसी एक विधा का हिस्सा बन जाता है। ' शब्दों की आकृतियां ' कविता संग्रह भी अपने मन में उपजे हुए ख्यालों को शब्दों में बांधकर आकृतियों का रूप देने का प्रयास है। यह हिंदी कविताओं का एक संग्रह है जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समेटे हुए है। कविता प्रेमियों से सरल तरीके से जुड़ने और उन्हें इसमें मौजूद सामग्री का आनंद लेने का प्रयास किया गया है क्योंकि यह हम सभी से जुड़ी हुई है। अगर इसमें कल्पना की उड़ान है तो यह जीवन की कठोर वास्तविकताओं के बारे में भी बात करती है। यह बस जीवन के बेहतर पहलुओं की ओर एक यात्रा है जिसमें विषमताओं का भी सामना करना पड़ता है। शब्द अलग-अलग भावनाओं को आकार देते हैं जो हम अपने जीवन के विभिन्न चरणों में अनुभव करते हैं। उम्मीद है कि हर बार की तरह इस बार भी आपको मेरा यह प्रयास अच्छा लगेगा और आपका स्नेह निरंतर प्राप्त होता रहेगा।
मैं कविता अपने आप को सिद्ध करने के लिए नहीं लिखता , बस ‘चलते-चलते’ जो भी दाएं - बाएं देखता हूं या अनुभव करता हूं, उन्ही को साधारण शब्दों का आकार दे दिया करता हूं। मैं नहीं चाहता कि
मैं कविता अपने आप को सिद्ध करने के लिए नहीं लिखता , बस ‘चलते-चलते’ जो भी दाएं - बाएं देखता हूं या अनुभव करता हूं, उन्ही को साधारण शब्दों का आकार दे दिया करता हूं। मैं नहीं चाहता कि कविता पढ़ते हुए शब्दकोश का सहारा लिया जाए, बल्कि हर पाठक को सरलता से उसका भाव समझ आ जाए । कविता संग्रह ' चलते - चलते ' में भी कुछ ऐसा ही प्रयास है। उम्मीद करता हूं आपको पसंद आएगा ।
TAWI SPEAKS is in fact a small effort from my side for preserving and promoting my mother tongue Dogri and cultural traditions of Duggar Pradesh. Through the write ups in the book what I wish to state is that the sacred river Tawi, which is also called Surya Putri and finds references in religious books is in fact a life line of Jammu province and speaks a lot about the sufferings of regional language and cultural heritage but we should have that sight to see,
TAWI SPEAKS is in fact a small effort from my side for preserving and promoting my mother tongue Dogri and cultural traditions of Duggar Pradesh. Through the write ups in the book what I wish to state is that the sacred river Tawi, which is also called Surya Putri and finds references in religious books is in fact a life line of Jammu province and speaks a lot about the sufferings of regional language and cultural heritage but we should have that sight to see, hearing capacity to listen to her and belongingness to feel the pathos.
We all know that we should put in our best with all honest approach to fulfill our responsibilities towards our mother land. But we seldom care for same. We need to seek lessons and inspiration from those regions like North-East India and South India especially who are so much concerned about their languages and cultural traditions. They preserve and promote same Generations to Generations taking it as their foremost responsibility. On the contrary, we have so called ‘Think Tank’ who prefers to argue in aimless debates just to project them as very concerned ones whereas the fact remains that it’s just an eyewash.
Let us get rid of those alleged concerned ones and serve our mother tongue Dogri and our regional culture with all devotion in whatever way we may, because we don’t have to prove ourselves to others but to the soul within.
अस्तित्व ,पवित्र भूमि डुग्गर प्रदेश के निवासियों के बीच अपनी मातृभाषा डोगरी और क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए जागरूकता पैदा करने के केंद्र
अस्तित्व ,पवित्र भूमि डुग्गर प्रदेश के निवासियों के बीच अपनी मातृभाषा डोगरी और क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए जागरूकता पैदा करने के केंद्र बिंदु पर आधारित है। यह वास्तव में अपनी जड़ों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को महसूस करने के लिए स्वयं के भीतर एक यात्रा है जिसके बिना हम कहीं के नहीं रहेंगे।
" क्षितिज पास है नहीं भी " हिंदी में 82 कविताओं का संग्रह है। ये सभी कविताएँ रचनात्मक तत्वों को समेटे हुए हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं। कविताएँ सरल भाषा में लिखी ग
" क्षितिज पास है नहीं भी " हिंदी में 82 कविताओं का संग्रह है। ये सभी कविताएँ रचनात्मक तत्वों को समेटे हुए हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं। कविताएँ सरल भाषा में लिखी गई हैं, लेकिन आकर्षक शब्दों के साथ प्रभावशाली ढंग से गुंथी हुई हैं जो इसे सभी पाठकों और विशेष रूप से उन लोगों के लिए अच्छा अनुभव देती हैं जो सामग्री आधारित रचनात्मक कार्यों को पढ़ना पसंद करते हैं।
' आओ वर्तमान संवारें ' हमारी संस्कृति- हमारी विरासत को समर्पित 21 लेखों पर आधारित इस किताब को लिखने के पीछे का मूल मकसद है अपनी मातृभाषा डोगरी, डुग्गर प्रदेश की संस्कृति और विर
' आओ वर्तमान संवारें ' हमारी संस्कृति- हमारी विरासत को समर्पित 21 लेखों पर आधारित इस किताब को लिखने के पीछे का मूल मकसद है अपनी मातृभाषा डोगरी, डुग्गर प्रदेश की संस्कृति और विरासत को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए यहां के लोगों को प्रेरित करना। क्योंकि यह हमारी जड़े हैं और जड़ों से विमुख अस्तित्व नहीं रहता । अपने अस्तित्व को बचाने के लिए हमें अपनी मातृभाषा डोगरी, संस्कृति और विरासत को सहेज कर रखना होगा तथा उसे प्रचारित और प्रसारित भी करना पड़ेगा । यही इन लेखों की मूल भावना भी है
' हमसफ़र '
हमसफ़र लिखने के पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि जिन महानुभावों ने भाषा, संस्कृति और विरासत को सहेज कर रखने में अपने-अपने ढंग से उल्लेखनीय भूमिकाएं निभाई हैं उन
' हमसफ़र '
हमसफ़र लिखने के पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि जिन महानुभावों ने भाषा, संस्कृति और विरासत को सहेज कर रखने में अपने-अपने ढंग से उल्लेखनीय भूमिकाएं निभाई हैं उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी पाठकों तक पहुंचाई जा सके ।
सोचा जाए,
तो हम सब का सफ़र सांझा है । इस सफ़र में हम सब की मंज़िल भी एक ही है और वह मंज़िल है अपनी सांस्कृतिक विरासत को संभाल कर रखने की , ताकि भावी पीढ़ी उस पर गर्व कर सके। इस सफ़र के दौरान हर कोई अपनी तरफ़ से इस महायज्ञ में अपने कार्यों के द्वारा आहुति तो देता ही है। कुछ विलक्षण प्रतिभा के मालिक इसमें इतना अधिक योगदान करते हैं कि वो सभी के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं । उन्हीं प्रेरित व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेते हुए और भी लोग इस नेक कार्य में आ जुटते हैं, जिस से अपनी भाषा, संस्कृति और विरासत को संजोए कर रखने में बहुत अधिक सहायता मिलती है।
वैसे तो डुग्गर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और उसके प्रचार-प्रसार में बहुत सारे प्रेरक व्यक्तियों का योगदान रहा है तथा अभी भी पूरी तत्परता तथा ईमानदारी से लगातार इसमें प्रयासरत हैं , लेकिन इस किताब में कुछ व्यक्तियों को ही स्थान दे पाया हूं। हालांकि यहां में यह अवश्य कहना चाहूंगा कि, भविष्य में भी इसी तरह के प्रयास मैं अपनी तरफ से भी जारी रखने की कोशिश करूंगा, जिससे और भी प्रेरक व्यक्तित्वों के बारे में किताब में संकलित करके जानकारी आगे बढ़ा पाऊं।
आशा है,
मेरा यह छोटा सा प्रयास आप सभी को पसंद आएगा ।
." अतीत गौरवमय था " वास्तव में एक माध्यम है शब्दों के रूप में अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति अपने आपको ही आगाह करने का । इस पुस्तक में प्रस्तुत लेखों के माध्यम से यह प्रयास किया गय
." अतीत गौरवमय था " वास्तव में एक माध्यम है शब्दों के रूप में अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति अपने आपको ही आगाह करने का । इस पुस्तक में प्रस्तुत लेखों के माध्यम से यह प्रयास किया गया है कि अगर हमने वक्त रहते अपने आप को नहीं संभाला और अपनी जड़ों से विमुख होते चले गए तो निकट भविष्य में अपने अस्तित्व को ही गवा देंगे। इस किताब को लिखने के पीछे का मूलभूत मकसद भी यही है कि अपने आप को चेताया जाए।
'Through A Common Lens' is a compilation of Essays on varied subjects that will not only amuse the readers but will be a thought provoking experience for them too. Written in simple language but with an interesting element while connecting to the subject is added attraction of the Book that will be well received by the readers who wish to read Essays based on personal experiences but having universal appeal. It's an effort with a creative input but with a diff
'Through A Common Lens' is a compilation of Essays on varied subjects that will not only amuse the readers but will be a thought provoking experience for them too. Written in simple language but with an interesting element while connecting to the subject is added attraction of the Book that will be well received by the readers who wish to read Essays based on personal experiences but having universal appeal. It's an effort with a creative input but with a difference that will be felt while reading.
झरोखा,
एक प्रयास है अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति सचेत होने का।
एक संदेश है अपने आप को जगाने का ताकि हम अपनी जड़ों से उखड़ कर कहीं अपने आप को खो ना दें।
डुग्गर प्रदेश हमारी
झरोखा,
एक प्रयास है अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति सचेत होने का।
एक संदेश है अपने आप को जगाने का ताकि हम अपनी जड़ों से उखड़ कर कहीं अपने आप को खो ना दें।
डुग्गर प्रदेश हमारी मातृभूमि है ।
हम डोगरे हैं ।
हमारी मातृभाषा डोगरी है ।
यह याद रखें,
अपनी संस्कृति अपनी पहचान है ।
अपनी विरासत अपना अतीत है ।
इस पर गर्व करें और भावी पीढ़ी तक इसे सहेज कर रखें ।
आओ ,
यह उम्मीद करें कि यह संदेश हम सभी का मार्गदर्शन करे।
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' Of ART And ARTISTS' is basically a collection of articles dedicated to those artists and literary persons of Duggar region of UT of Jammu & Kashmir who have played a pivotal role in exploring all possibilities to boost regional art, culture and language. They are assets of the society and have a realization that if they will not work for preserving their roots nobody will care. In fact, cultural heritage is our identity. If the culture is lost there is ident
' Of ART And ARTISTS' is basically a collection of articles dedicated to those artists and literary persons of Duggar region of UT of Jammu & Kashmir who have played a pivotal role in exploring all possibilities to boost regional art, culture and language. They are assets of the society and have a realization that if they will not work for preserving their roots nobody will care. In fact, cultural heritage is our identity. If the culture is lost there is identity crisis. The book also carries articles on different forms of art also. The articles will inspire all art lovers and art promoters to come ahead to work coilectively for own ART, CULTURE & Language.
'भगवान मेरे नहीं है' वास्तव में एक रंजिश है उस परम परमात्मा के प्रति जब मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं बनतीं। तब ईश्वर के प्रति कुछ क्रोध , कुछ असहमति के भाव उबर पाना सहज ही है । उन क
'भगवान मेरे नहीं है' वास्तव में एक रंजिश है उस परम परमात्मा के प्रति जब मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं बनतीं। तब ईश्वर के प्रति कुछ क्रोध , कुछ असहमति के भाव उबर पाना सहज ही है । उन क्षणों में भगवान के अस्तित्व को कुछ लोग चुनौती देते हैं तो कुछ सिर्फ अपनी असहमति अपने ही मन में दबा कर रखते हैं और ऐसा करने वालों की तादाद भारी होती है क्योंकि गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय लोगों का भगवान पर पूर्ण विश्वास होता है। लेकिन विश्वास को जब कहीं ठोकर लगती है तो मन में ऐसी भावना उत्पन्न होना सहज ही है ।
भगवान के प्रति आक्रोश,प्रेम, नतमस्तकता को समर्पित अधिकतर कविताओं से भरे हुए इस कविता संग्रह में मानवीय संवेदनाओं, रिश्तों, राजनीति, सामाजिक कुरीतियों, औरतों के शोषण और प्यार- मोहब्बत पर केंद्रित कविताओं को भी प्रमुखता दी गई है।
' तवी उदास थी '
वास्तव में ऐसी कविताओं का संग्रह है जो जिंदगी के हर पहलू को छूती हैं । जहां एक तरफ प्रेम, त्याग और मानवीय संवेदनाओं को सर्वोपरि रखकर कविताओं की रचना की गई है, वहीं हर
' तवी उदास थी '
वास्तव में ऐसी कविताओं का संग्रह है जो जिंदगी के हर पहलू को छूती हैं । जहां एक तरफ प्रेम, त्याग और मानवीय संवेदनाओं को सर्वोपरि रखकर कविताओं की रचना की गई है, वहीं हर आयु वर्ग के पाठक की पसंद का भी इसमें ख्याल रखा गया है। यह कविताऐं कुछ शब्दों में ही बहुत कुछ बयान कर पाने में सक्षम है । इन्हें पढ़ कर ना केवल आनंद की अनुभूति होती है बल्कि कुछ सोचने के लिए भी यह विवश करती हैं । अधिकांश कविताएं छ॔द मुक्त हैं और तथ्य तथा तत्व पर विशेष ध्यान देकर रची गई हैं । पाठकों के लिए यह एक सुखद अनुभव रहेगा।
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