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ATEET GOURAVMAY THA / अतीत गौरवमय था अतीत गौरवमय था

Author Name: Rajeshwar Singh Raju | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

." अतीत गौरवमय था " वास्तव में एक माध्यम है शब्दों के रूप में अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति अपने आपको ही आगाह करने का । इस पुस्तक में प्रस्तुत लेखों के माध्यम से यह प्रयास किया गया है कि अगर हमने वक्त रहते अपने आप को नहीं संभाला और अपनी जड़ों से विमुख होते चले गए तो निकट भविष्य में अपने अस्तित्व को ही गवा देंगे। इस किताब को लिखने के पीछे का मूलभूत मकसद भी यही है कि अपने आप को चेताया जाए।

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राजेश्वर सिंह राजू

राजेश्वर सिंह 'राजू' ,जो जम्मू व कश्मीर के खूबसूरत स्थान जम्मू के रहने वाले हैं विगत 30 वर्षों से लगातार साहित्य साधना में लगे हुए हैं।
आरंभिक दौर में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में लिखने से शुरुआत की, फिर राष्ट्रभाषा हिंदी में लिखने के साथ-साथ अपनी मातृभाषा डोगरी में भी लिखने को प्राथमिकता देने लगे ।
इनकी लिखी हुई रचनाएं ना केवल क्षेत्रीय  बल्कि जम्मू से बाहर भी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित हो रही हैं ।
इन के अभी तक लगभग  700 लेख, 100  कहानियां तथा 300 कविताएं अलग-अलग पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है ।
इन्होंने लगभग 15 रंगम॔च नाटक भी लिखे जिन्हें प्रसिद्ध रंगमंच संस्थाओं ने मंचित किया ।
अभी तक इनके लिखे हुए लगभग 35 नाटक और 05 सीरियल आकाशवाणी जम्मू से प्रसारित हो चुके हैं और इसके साथ ही लगभग 20 नाटक, 10 सीरियल और 100 से भी ऊपर वृत्त चित्र दूरदर्शन केंद्र जम्मू, दूरदर्शन केंद्र श्रीनगर तथा डीडी कशिर से प्रसारित हो चुके हैं ।
अभी तक इनकी लिखी हुई 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं , जिनमें 6 डोगरी भाषा में है तथा 06 हिंदी भाषा तथा 02 अंग्रेजी भाषा में है । इन पुस्तकों में से 04 कविता संग्रह हैं तथा  07 कहानी संग्रह है और 02 किताबें सांस्कृतिक विरासत पर आधारित है ।
बहुत से सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं ने इन्हें साहित्य सेवा के लिए सम्मानित भी किया है।

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