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HAMSAFAR / हमसफ़र HAMSAFAR

Author Name: Rajeshwar Singh Raju | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

' हमसफ़र '

हमसफ़र लिखने के पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि जिन महानुभावों ने भाषा, संस्कृति और विरासत को सहेज कर रखने में अपने-अपने ढंग से उल्लेखनीय भूमिकाएं निभाई हैं उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी पाठकों तक पहुंचाई जा सके ।

सोचा जाए,

तो हम सब का सफ़र सांझा है । इस सफ़र में हम सब की मंज़िल भी एक ही है और वह मंज़िल है अपनी सांस्कृतिक विरासत को संभाल कर रखने की , ताकि भावी पीढ़ी उस पर गर्व कर सके। इस सफ़र के दौरान हर कोई अपनी तरफ़ से इस महायज्ञ में अपने कार्यों के द्वारा आहुति तो देता ही है। कुछ विलक्षण प्रतिभा के मालिक इसमें इतना अधिक योगदान करते हैं कि वो सभी के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं । उन्हीं प्रेरित व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेते हुए और भी लोग इस नेक कार्य में आ जुटते हैं, जिस से अपनी भाषा, संस्कृति और विरासत को संजोए कर रखने में बहुत अधिक सहायता मिलती है।

वैसे तो डुग्गर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और उसके प्रचार-प्रसार में बहुत सारे प्रेरक व्यक्तियों का योगदान रहा है तथा अभी भी पूरी तत्परता तथा ईमानदारी से लगातार इसमें प्रयासरत हैं , लेकिन इस किताब में कुछ व्यक्तियों को ही स्थान दे पाया हूं। हालांकि यहां में यह अवश्य कहना चाहूंगा कि,  भविष्य में भी इसी तरह के प्रयास मैं अपनी तरफ से भी जारी रखने की कोशिश करूंगा,  जिससे और भी प्रेरक व्यक्तित्वों के बारे में किताब में संकलित करके जानकारी आगे बढ़ा पाऊं।

आशा है,

मेरा यह छोटा सा प्रयास आप सभी को पसंद आएगा ।

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राजेश्वर सिंह राजू

राजेश्वर सिंह 'राजू'

अनुभव बतौर लेखक 
प्रिंट मीडिया ___
बतौर कला समीक्षक, कहानीकार, कवि, स्तंभ लेखक 1989 से राज्य व राज्य के बाहर के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशन _जैसे दैनिक हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स , वीर अर्जुन ,डेली एक्सेल्सियर ,ग्रेटर कश्मीर, कश्मीर टाइम्स, स्टेट टाइम्स ,दैनिक कश्मीर टाइम्स  डोगरी टाइम्स, जम्मू प्रभात, अजीत समाचार ,नव जम्मू, गलिम्पसिस आफ़ फ्यूचर , अर्ली टाइम्स, शीराज़ा हिंदी , शीराज़ा डोगरी , धर्म मार्ग, नमीं चेतना, सोच ,अमर सेतु ,तवी दीपिका  योजना ,असहाय समाज वर्ग पत्रिका वगैरह। 
लगभग 100 कहानियां,700 लेख, 300 कविताएं अंग्रेजी, हिंदी व डोगरी भाषा में प्रकाशित ।

रंगमंच ___
रंगमंच के लिए लगभग 15 नाटक लिखे। जिनमें से अधिकांश को जम्मू व कश्मीर के राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त निर्देशक श्री मुश्ताक काक ने मंचित किया । कुछ मुख्य नाटक हैं बाबूजी, विडोज़, एक सार्थक जीवन,  अब वतन आजा़द है ,एक और क्रांति ,रोमियो जूलियट और अंधेरा ,सबक ले लो आज, गुड़िया घर, विराम, सुन ते , कहानी मंच,  अपने ऊप्पर भारी वगैरह ।

किताबें 
प्रकाशित ____
1) खौ'दल (2013) डोगरी कहानी संग्रह ।
2) अद्ध-मझाटे  (2015) डोगरी कहानी संग्रह ।
3) सिक्ख-मत्त (2017) डोगरी बाल कहानी संग्रह ।
4) जीह्ब तलैह्टी गेई (2018) डोगरी कहानी संग्रह ।

5) नि:शब्द (2018) हिंदी कविता संग्रह ।
6) हां - ना (2019) हिंदी कविता संग्रह ।
7) कह दो (2020) हिंदी कहानी संग्रह ।
8) केह् पता (2020) डोगरी कहानी संग्रह ।

9) तवी उदास थी (2021) __हिंदी कविता संग्रह ।

10) भगवान मेरे नहीं हैं (2021) हिंदी कविता संग्रह ।

11) झरोखा(2021) हमारी संस्कृति हमारी विरासत

12) OF Art & ARTISTS (2021)_ Art & Culture

13) Through a Common Lens (2021)_ Articles

14) TANDAN (2021) डोगरी कहानी संग्रह ।

अप्रकाशित___
1)  ऋतु बदल गई __हिंदी कविता संग्रह ।
3) लकीरें __हिंदी कविता संग्रह ।

रेडियो ___
बतौर कहानीकार, कवि, वार्ताकार 1989 से लगातार प्रसारित। 
रेडियो स्टेशन जम्मू से प्रसारित लगभग 25 नाटक,  गीतों भरी कहानियां, झलकियां हिंदी और डोगरी भाषा में युवा- वाणी सर्विस से प्रसारित । 

लगभग 30 नाटक हिंदी और डोगरी भाषा में प्राइमरी सर्विस रेडियो स्टेशन जम्मू, शिमला से प्रसारित ।

दूरदर्शन ___
लगभग 30 सीरियल, नाटक, डॉक्यूमेंट्रीयां हिंदी और डोगरी भाषा में दूरदर्शन केंद्र श्रीनगर, दूरदर्शन केंद्र जम्मू , कशिर चैनलों से प्रसारित ।

बतौर कलाकार ___
रेडियो स्टेशन जम्मू से हिंदी व डोगरी भाषा में बि- हाई एप्रूव्ड ड्रामा कलाकार। असंख्य नाटकों में मुख्य भूमिका नि

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