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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
सिरिभूवलय आश्चर्यान्वित करदेने वाला तथा आज के वैज्ञानिकों को चुनौतीपूर्ण अद्भुत ग्रन्थ है। आठवीें-नवमी शताब्दी में दिगम्बर मुनि श्री कुमुदेन्दु द्वारा लिखा गया यह अपने आप में अनूठा ग्रन्थ मात्र अंकचक्रों में निबद्ध है। इसमें 1 से 64 तक के अंकों को लिया गया है। एक अंकचक्र में 27 खड़े कॉलम (Vertical) और 27 पडे़ कॉलम (Horizontal), इस तरह से कुल 729 खाने बनाये गये हैं, उनमें विशेषविधि से अंक लिखे गये हैं। इस तरह के कुल 1294 अंकचक्र हैं। जो हमें उपलब्ध हैं। अब से पहले तक 1270 अंकचक्रों की जानकारी थी। इन अंकचक्रों से कुल 21,134 सांगत्य पद्य निसृत होते हैं। सभी यन्त्रों के 1294 x 727 = 9, 43, 326 अक्षर हुए।
इसमें 59 अध्याय हैं + 29वाँ द्वितीय, श्रुतावतार और मंगल प्राभृत। इस तरह 62 अध्याय कह सकते हैं। ग्रन्थ के सम्पूर्ण उपलब्ध 1294 अंकचक्रों से अलग-अलग एंगिल से 70,096 अंकचक्र बनेंगे। इनके अक्षर 5, 10, 30, 000 होंगेे और उनसे लगभग 47, 25, 000 पद्य बनेंगे। किन्तु हमारी क्षमता केवल 16,000 अंकचक्र बनाने की है, जिनसे लगभग 9 लाख पद्य बनेंगे। इनसे समस्त द्वादशांग, 363 दर्शनों के सिद्धान्त, 64 कलाएँ (आर्ट एण्ड साइन्सेज), 718 भाषाएँ, विषय, घर्म, विज्ञान व्यवस्थित रूप से पूर्ण विवेचित होगा।
प्रस्तुत ग्रन्थ ‘अभिनव भूवलय’ प्रथम खण्ड, प्रस्तुतकर्ता के 22 वर्षों के श्रम का प्रसाद रूप है। इसके उपरान्त क्रमशः बाद के शेष खण्ड प्रकाशित करने की भावना है। जो इस खण्ड को आत्मसात् कर लेगा वह ग्रन्थ वह शेष खण्डों में दी जाने वाली सिरि भूवलय की जटिलताओं को समझ सकेगा।
डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
डॉ. महेन्द्र कुमार जैन ‘मनुज’
डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। ये बहुत अच्छे लेखक, पुराविद्, पत्रकार, शोधान्वेषी हैं। डॉ. मनुज द्वारा संपादित/प्रकाशित 6 पुस्तके विभिन्न विश्वविद्यालयों/शैक्षिक संस्थानों के कोर्स में या सहायक, संदर्भग्रन्थ के रूप में सम्मिलित हैं। आपकी स्वयं की एक पत्रिका है तथा कई पत्र-पत्रिकाओं में आप सम्पादक हैं और रह चुके हैं। आठ ग्रन्थों के आप स्वयं लेखक/ अनुवादक हैं और 62 ग्रन्थों का सम्पादन कर चुके हैैं। आपको 13 पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, कई संस्थाओं के अध्यक्ष, महामंत्री जैसे पदों पर हैं। दैनिक समाचार पत्रों में पुरातत्त्व, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, आगमिक, पौराणिक, ऐतिहासिक, योगविद्या, समसामयिक आदि विषयों पर नियमित लेखन करते हैं, लगभग 300 अखबार आपके आलेख प्रकाशित करते हैं। अंकचक्रान्वित अनूठे यंत्रात्मक ग्रन्थ ‘सिरि भूवलय’ को डिकोड करने के विलुप्त हो चुके फार्मूला की खोज कर उसे इस सदी में प्रथम बार डिकोड करने का गौरव आपको प्राप्त है। 64 अध्याय वाले विशाल ‘सिरि भूवलय’ में 718 भाषाएं, 363 दर्शन और 64 कलाएं वर्णित हैं। इसमें अनेक विलुप्त और अप्राप्त प्राचीन ग्रन्थ गर्भित हैं। जो ‘अभिनव भूवलय’ के नाम से आपके समक्ष प्रस्तुत है। पता- ‘अनुप्रेक्षा’, 22/2, रामगंज, जिन्सी, इन्दौर म.प्र. (भारत), मो. 919826091247, ई-मेल- mkjainmanuj@yahoo.com
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