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Adhyatm Manjari (Vol. 1) / अध्यात्म मंजरी (खण्ड-1 ) जीवन में अध्यात्म की भूमिका

Author Name: S. V. Singh "Prahari" | Format: Hardcover | Genre : Others | Other Details

सामान्यत: शारीरिक, मानसिक और आत्मिक, तीन तरह के सुख होते हैं । शारीरिक सुख की तृप्ति के बाद मानसिक सुख और फिर आत्मिक सुख की तृप्ति की आवश्यकता होती है। आत्मिक सुख को प्राप्त करने के लिए अध्यात्मिकता के मार्ग पर चलना ही होगा। आत्मिक साधना के द्वारा मनुष्य साधारण से असाधारण बनने तक का सफर तय करता है।अध्यात्म एक ऐसा शब्द है जिसे परिभाषित करना कठिन है। जिन्होंने भी इसके संबंध में जो कुछ कहा है, अपने अनुभव के आधार पर कहा है। जैसा की हम जानते है की अध्यात्म दो अक्षरों से मिलकर बना है अध्य + आत्म अर्थात इसका सीधा सा अर्थ है की स्वयं का अध्यन करना। अर्थात अपने अंदर का ज्ञान करना। लेखक द्वारा इस  पुस्तक में अध्यात्म की इन्हीं सूक्ष्म पहलुओं को उधृत किया गया है।

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एस . वी. सिंह "प्रहरी"

एक शिक्षित कृषक परिवार में जन्में एस. वी. सिंह "प्रहरी" द्वारा कृषि, लेखा एवं कॉमर्स की शिक्षा ग्रहण कर भारत वर्ष के एक सम्मानित एवं प्रसिद्ध कॉर्पोरेट में लगभग तीन दशक से  भी अधिक अवधि की कार्यालयी सेवा के दौरान कनिष्ठ पद से लेकर प्रेसीडेन्ट
वर्कर तक के वरिष्ठ पद तक कार्य  करने एवं प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करने का सफर पूर्ण किया गया है। लेखक के पूज्य माता एवं पिताजी प्रेरणास्रोत रहे हैं जिनका एक मात्र उद्देश्य अपने गृहस्थ जीवन को पूर्ण संत स्वभाव में जीते हुए जन सेवा का रहा है। लगभग एक दशक पूर्व लेखक के पूज्य पिताजी ने अध्यात्म को समझकर प्रकृति  स्वभाव के आधार पर जीवन जीने के लिये प्रेरणा दी।

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