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Amarnath Ji / अमरनाथ जी एक यात्रा संस्मरण

Author Name: Peeyush Agarwal 'agyaniji' | Format: Paperback | Genre : Reference & Study Guides | Other Details

अमरनाथ यात्रा कठिनतम तीर्थ यात्राओं में से एक मानी जाती है और कदाचित् कैलाश मानसरोवर यात्रा के बाद दूसरे स्थान पर आती है। इसका दुरूह मार्ग एवं कठिन भौगोलिक स्थिति इस यात्रा को दुर्गम बनाती हैं। इसके दर्शन वर्ष में केवल 2 माह के लिए खोले जाते हैं क्योंकि अधिकांश समय यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। बहुत अधिक ऊँचाई पर स्थित होने के कारण चारों ओर बर्फ ही बर्फ होती है, मार्ग में ग्लेशियर पड़ते हैं जिनको पार करना होता है, ऊँचाई पर ऑक्सीजन की अत्यधिक कमी होती जाती है, और मौसम का मिजाज भी कब बदल जाए यह कह पाना मुश्किल होता है।

इसके बाद भी इसका रोमांच भक्तों में यहाँ तक कि साहसिक यात्रा और ट्रेकिंग पसंद लोगों में बना ही रहता है। इस पुस्तक में यात्रा के विवरण, मार्ग के साथ-साथ रोमांच को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। साथ ही यात्रा से संबंधित तैयारियों को भी सम्मिलित किया गया है। इसके अतिरिक्त पंजीकरण से लेकर यात्रा पूर्ण होने तक हर समय बाबा बर्फानी के आशीष के अपने साथ होने का अहसास भी प्रमुखता से है, अतः कुछ प्रसंग इस आस्था और विश्वास को उजागर करते हुए भी मिलेंगे पाठकों को।

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पीयूष अग्रवाल 'अज्ञानीजी'

पीयूष अग्रवाल का मानना है कि ज्ञान अथाह है। इसको ग्रहण करने की कोई सीमा नहीं है और इसके लिए एक जीवन भी अपूर्ण है। अतः व्यक्ति हर समय किसी न किसी से, कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। यही कारण है कि लेखन कार्य के लिए उन्होंने ‘अज्ञानीजी’ उपनाम का चयन किया क्योंकि वह अभी भी जीवन द्वारा सिखाए गए पाठों और अनुभवों से इतर अपने को एक अज्ञानी ही मानते हैं।

वह बरेली, उत्तर प्रदेश, भारत के एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से संबंधित हैं। परिवार से मिले संस्कार उनके लिए अति महत्वपूर्ण रहे हैं। बचपन से उन्हें प्रकृति से सामंजस्य बना कर रखना सिखाया गया। बैंक तथा बीमा व्यवसाय में लगभग 36 वर्ष सेवा के पश्चात् उन्होंने पद से त्यागपत्र दे समय से चार वर्ष पूर्व ही अवकाश ले लिया, जिसमें एक छिपा उद्देश्य अपने अनुभवों को कलमबद्ध करना और साझा करने का भी है।

छात्र जीवन से ही वह लेखन में सक्रिय रहे हैं और उनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं के साथ कार्यालयीन और व्यावसायिक पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। उन्होंने कभी भी एक विधा या विषय में स्वयं को सीमित नहीं किया। उनके लेख, कथाएं और कविताएं उनके अपने अनुभवों और संवेदनाओं पर आधारित रहे।

अवकाश प्राप्ति के बाद उन्होंने एक यूट्यूब चैनल (www.youtube.com/c/funshala) और एक वेबसाईट (www.funshala.co.in) भी प्रारंभ की, जो विकासशीलअवस्था में हैं।

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