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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal“अपराधचक्र” का अर्थ है – देश के नियम और कानून के विपरीत कार्य करते हुए ऐसे भंवरजाल में फंस जाना जिसकी परिणति आर्थिक,मानसिक,शारीरिक और सामाजिक क्षति होती है |अपराधी को अंततः अपने गुनाहों की सजा देश के कानून के तहत भुगतनी पड़ती है | इसके बावजूद भी इंसान अपराध करने से बाज नहीं आता है |
वैसे तो इस विषय का दायरा बहुत व्यापक है पर हम यहाँ सिर्फ एक उदाहरण के तौर पर उन सत्तासीन नेताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों का उदाहरण ले सकते हैं जो सत्ता प्राप्त होते ही सत्ता का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्ट आचरण में लिप्त हो जाते हैं और तब शुरू होता है भ्रष्टाचार का अपराधचक्र |यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अपराधी एक बार फंस जाए तो उस दलदल से निकल पाना मुश्किल हो जाता है और वह धँसता ही चला जाता है | अंततः इसकी परिणति अपराधी को एक कष्टसाध्य न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और घोर मानसिक, शारीरिक, आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है | साथ ही सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है और पारिवारिक जीवन तहस नहस हो जाता है | “अपराधचक्र” ऐसी ही कहानियों का संग्रह है जो हमें जीवन में आपराधिक कृत्यों से बचने की सीख देता है |पढिए यह शानदार कहानी संग्रह – “अपराधचक्र”
राम प्रताप सिंह
राम प्रताप सिंह भारतीय सेना, मैकनाइज्ड इनफेन्ट्री रेजीमेंट व सीमा सुरक्षा बल में एक सैन्य अधिकारी थे | उन्हे सैन्य सेवा का 36 वर्षों का अनुभव है| इसके अलावा उन्होंने MA (English Literature),LLB, LLM, PGDHR (Post Graduate Diploma in Human Right), MDBA (Master Diploma in Business Administration), DLL&LW (Diploma in Labour Laws & Labour Welfare) and Diploma in Cyber Laws का अध्ययन किया है | सैन्य सेवा से मुक्त होने के बाद उन्होंने वकालत का पेशा भी अपनाया | अब वह अपना पूरा समय पठन-पाठन व लेखन में देते हैं | अपराधचक्र लेखक का उन्नीसवाँ उपन्यास है| लेखक से पत्र व्यवहार का पता –Email : rps1959@gmail.com Mobile No 91-7000153809.
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