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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकभी-कभी ऐसा लगता है के बहुत कुछ कहना है मगर कोई सुनने वाला नहीं, तारीफ़ करने को जी करता है, कुछ हालातों पर गुस्सा आता है, पर सब कुछ समेटकर ज़िन्दगी यूँ ही गुज़रती रहती है। फ़िर अचानक एक मोड़ ऐसा आ जाता है जब एहसास उफान मार कर सारे रूकावटो को तोड़ देता है, और कलम पन्ने भरने लगती है। यह पुस्तक मेरे तरकश से निकले हुए कुछ ऐसे ही एहसासों का संग्रह है। सुख, दुख, क्रोध, तृष्णा, तृप्ति, आवेग से भरे मेरे इस दुनिया में आपका स्वागत है।
“कलम के एक छोर पर ख्याल
एक छोर पर वजूद लेकर चल रहा हूँ,
ज़िन्दगी के पथरीले रास्ते पर
आकांक्षाओंसे प्यास मिटाए चल रहा हूँ।“
अविषेक सरकार
गुवाहाटी (असम) से कुछ तीस किलोमीटर दूर सोनापुर में अविषेक का जन्म सन् १९९० में एक बंगाली परिवार में हुआ था। वायुसेना कोलोनी में पले बड़े, कविताओं के प्रति उनकी रूचि व्यास जी के वीर रस से भरपूर कविता ‘खूनी हस्ताक्षर’ से रूबरू होने से जन्मीं थी। केवल हिंदी ही नहीं, अंग्रेज़ी कविताएँ भी बचपन से ही उन्हें पसंद थी। शुरुआत से ही कीट्स, शेली, वर्ड्सवर्थ के कविताओं से वे काफी प्रेरित थे। रेचल कार्सन के ‘साइलेंट स्प्रिंग’ पुस्तक ने उनका जिंदगी के प्रति नजरिया बदल दिया। कविताओं, उपन्यासों से लगाव ने ही काव्य रचना के लिए उन्हें प्रेरित किया एवं इंटरनेट के माध्यम से स्वरचित कविताओं को साहित्य के सागर में उढ़ेल दिया। काव्यसंकलनों के ज़रिए अपनी कुछ कविताओं को प्रकाशित करने के बाद यह काव्यसंग्रह उनकी पहली एकल पुस्तक है।
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