मेरै ई बाल गीत संग्रै “टाबरां का गीत” में भांत-भांत की इक्यावन कविता है। कवितावां का विषै टाबरां के मन भावै जिसा है। हाँसी-मजाक की कविता भी है तो चोखी सीख सिखावण की भी। पंछियां अर जिनावरां की कविता भी है तो दादो-दादी की भी। अै कवितावां टाबरां ने राजस्थानी भासा सीखणै में भी मदद करैगी।