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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमैं "हरिश्चन्द्र त्रिपाठी'हरीश; प्रस्तुत पुस्तक "शिशु गान" आप सब को प्रस्तुत करते हुए अपार प्रसन्नता की सुखद अनुभूति कर रहा हूॅ। इस पुस्तक में मैंने शिशु की जिज्ञासा को गीत के माध्यम से समझाने का पूरा प्रयास किया है। उठते-बैठते,चलते-फिरते, उछलते-कूदते बाल मन को पुस्तक रुचिकर लगना ही मेरी सफलता है। भारतीय सनातन संस्कृति पर आधारित यह पुस्तक बाल सुलभ चंचल मन को एक सुन्दर सन्देश की अनुभूति कराने में सफल हो। पूज्य गुरुदेव की कृपा जैसे मुझ अकिंचन को मिली,जन-जन को मिले। प्रिय बाल-गोपाल में राष्ट्र-धर्म का संचार करती यह पुस्तक आप सभी को समर्पित करता हूॅ। अच्छी साज-सज्जा के साथ मनमोहक ढ़ंग से पुस्तक प्रकाशन हेतु आदरणीय सुमन सर को बहुत -बहुत धन्यवाद। आपकी प्रतिक्रिया ही मेरा सम्बल रहेगा।
पूज्य प्रवर जनों को नमन करते हुए इसी अपेक्षा के साथ।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी 'हरीश'
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी 'हरीश', आत्मज स्व0 वंश राज त्रिपाठी, ई--85, मलिकमऊ नई कॉलोनी, रायबरेली (उप्र) का निवासी हूॅ। मेरा जन्म मेरे मामा पं0 लक्ष्मी नारायण मिश्र,निवासी--ग्राम--गोबरहिया डाक खाना--चिलमा बाजार जिला--बस्ती के यहॉ हुआ। मेरी बेसिक शिक्षा विषम परिस्थिति वश मेरे पैतृक गॉव- प्रायमरी पाठशाला,प्रताप पुर ,पिपरा गौतम,बस्ती तथा पूरे डाढ़ू,वजीरगंज,जिला गोण्डा में जूनियर हाई स्कूल तक हुई। हाई स्कूल तथा इण्टर मीडिएट की शिक्षा झिनकू लाल इण्टर कॉलेज, कलवारी, बस्ती में हुई। तत्पश्चात् स्नातक व स्नातकोत्तर (भूगोल) की शिक्षा के यस स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या में हुई।महारानी लाल कुॅवरि महाविद्यालय, बलरामपुर, गोण्डा से बी एड की उपाधि प्राप्त किया। सामान्य ग्रामीण परिवेश से निकल कर उ प्र परिवहन निगम में सेवा करते हुए जून 2015 को सेवानिवृत्त हुआ। अनेकों सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर मानव मात्र की सेवा को धर्म मान लिया।अनेकों (शताधिक) पुरस्कार प्राप्त हैं। दसाधिक साझा पुस्तकों में सहलेखक हूँ। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की देश की यशोगान करती पुस्तक 'इनसे हैं हम' में भी सहलेखक होने का गौरव प्राप्त है। लगभग 35 अप्रकाशित पुस्तकों का लेखन कर चुका हूँ।
प्रकाशित कृति-- " आओ अक्षर के गुण गायें"। " शिशु गान " आप सुधी पाठकों/ बालकों के हाथों में है।
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