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BHAGWAAN MERE NAHIN HAIN / भगवान मेरे नहीं हैं

Author Name: Rajeshwar Singh 'raju' | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details


'भगवान मेरे नहीं है' वास्तव में एक रंजिश है उस परम परमात्मा के प्रति जब मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं बनतीं। तब ईश्वर के प्रति कुछ क्रोध , कुछ असहमति के भाव उबर पाना सहज ही है । उन क्षणों में भगवान के अस्तित्व को कुछ लोग चुनौती देते हैं तो कुछ सिर्फ अपनी असहमति अपने ही मन में दबा कर रखते हैं और ऐसा करने वालों की तादाद भारी होती है क्योंकि गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय लोगों का भगवान पर पूर्ण विश्वास होता है। लेकिन विश्वास को जब कहीं ठोकर लगती है तो मन में ऐसी भावना उत्पन्न होना सहज ही है ।
भगवान के प्रति आक्रोश,प्रेम, नतमस्तकता को समर्पित अधिकतर कविताओं से भरे हुए इस कविता संग्रह में मानवीय संवेदनाओं, रिश्तों, राजनीति, सामाजिक कुरीतियों, औरतों के शोषण और प्यार- मोहब्बत पर केंद्रित कविताओं को भी प्रमुखता दी गई है।





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राजेश्वर सिंह 'राजू'

राजेश्वर सिंह 'राजू' ,जो जम्मू व कश्मीर के खूबसूरत स्थान जम्मू के रहने वाले हैं विगत 30 वर्षों से लगातार साहित्य साधना में लगे हुए हैं।
आरंभिक दौर में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में लिखने से शुरुआत की, फिर राष्ट्रभाषा हिंदी में लिखने के साथ-साथ अपनी मातृभाषा डोगरी में भी लिखने को प्राथमिकता देने लगे ।
इनकी लिखी हुई रचनाएं ना केवल क्षेत्रीय बल्कि जम्मू से बाहर भी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित हो रही हैं ।
इन के अभी तक लगभग 700 लेख, 100 कहानियां तथा 300 कविताएं अलग-अलग पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है ।
इन्होंने लगभग 15 रंगम॔च नाटक भी लिखे जिन्हें प्रसिद्ध रंगमंच संस्थाओं ने मंचित किया ।
अभी तक इनके लिखे हुए लगभग 35 नाटक और 05 सीरियल आकाशवाणी जम्मू से प्रसारित हो चुके हैं और इसके साथ ही लगभग 20 नाटक, 10 सीरियल और 100 से भी ऊपर वृत्त चित्र दूरदर्शन केंद्र जम्मू, दूरदर्शन केंद्र श्रीनगर तथा डीडी कशिर से प्रसारित हो चुके हैं ।
अभी तक इनकी लिखी हुई 8 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं , जिनमें पांच डोगरी भाषा में है तथा 03 हिंदी भाषा में है । 8 पुस्तकों में से 2 कविता संग्रह हैं तथा शेष पांच किताबें कहानी संग्रह है।
बहुत से सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं ने इन्हें साहित्य सेवा के लिए सम्मानित भी किया है।

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