You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal“नेह’’ या “प्रेम’’ का अपना एक अमिट व अटूट बंधन होता है । जो कि, बिना किसी धागे के, रिश्ते के, समझोते के, व्यवहार के, स्पर्श के, नजदीकी के, भी अनुभूत किया जा सकता है ।
नेह का अहसास प्रकृति में इत-उत अन्यत्र नजर आती है । पंछी, नदिया, ताल-तलैया, घटायें, पर्वत, बहार, पतझड़, मेघ, बरखा, कली प्रसून भ्रमर, मयूर समस्त नेह के प्रतीक बन अपनी-अपनी तरह से इसकी व्याख्या करते प्रतीत होते है ।
नेह भ्रमर व कलिका का, नेह बदली व मयूर का, नेह घरा व अंबर का, नेह चातक व अमिय का, “क्या’’? ये नेह कहीं भी किसी अश्लीलता, अभद्रत अथवा मिथ्या आकर्षण का प्रतीक दिखते है । “नही’’ “ये सब’’ उस अनंत के साम्राज्य का विस्तार करते हुए नेह बंधन को अति विशिष्ट व सूक्ष्म परिभाषा के रूप में प्रस्तुत करते है ।
रमता शर्मा
कवियत्री रमता शर्मा इनका जन्म 11 अगस्त, 1971 को कस्बा-आबूरोड़, तहसील – आबूरोड़, जिला –सिरोही राजस्थान में हुआ व उच्च शिक्षा अध्ययन के पश्चात राजकीय सेवा में कार्यरत है अध्यापिका की सेवा के साथ-साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों, विसंगतियों के खिलाफ समाज में जागृति पैदा करने का भी काम कर रही है साहित्य के क्षेत्र में इनकी पूर्व में भी पुस्कतको का प्रकाशन हो चुका है ।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.