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CHAI / चाय

Author Name: Mohammad Zeeshan | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

नमस्कार आदाब और आप सभी को मेरा सलाम मोहम्मद ज़ीशान मेरा नाम है शायरी, नज्में और ग़ज़लें लिखना मेरा काम है वैसे तो मैं रहने वाला इक गाँव का हूँ जहाँ बहती रहती है जहाँ हवा और पेड़ों की छाँव है मैं कहता कि मैं कि रहने वाला उस छांव का हूँ,, मगर कुछ वक़्त पहले ही मैं दिल्ली शहर में आ गया और ये शहर मुझे बहुत ख़ूब भा गया, यहीं से मैंने लिखना शुरू किया था,, इसलिए अब अपने दिल की बातें मैं लफ़्ज़ों में कहता हूँ और दिल वालों की दिल्ली के शहर में रहता हूँ,, 

ये लिखना लिखाना मेरी आदत नहीं थी मैं भी लिखता कुछ ख़ास इतनी भी मुझ में ताक़त नहीं थी,अब तो मैनें इसे अपनी आदत बना लिया है 

जो देती रहे मेरी रूह तक को सुकूं ऐसी मैनें इसे इबादत बना लिया है,,

Best shayari’s

ज़रा सी फ़ैली है स्याही ज़रा से बिख़रे हम भी हैं,,

ये ग़ज़ल, नज़्म और ये शायरी सिर्फ़ शायरी नहीं 

इसमें छिपे हम भी हैं!!

ये हमारे लफ़्ज़ सिर्फ़ लफ़्ज़ नहीं ये लिखी हमनें कहानी है,,

हमारी ग़ज़लें, नज़्में और हमारी लिखी ये और हमारी ही 

ज़ुबानी हैं 

माना कि हमारे और आपके दरिमियां अभी दूरी है,,

क्या करें अब ये तो बस हालातों की मजबूरी है,,

बेशक़

भूल जाओ सब कुछ मगर ये क़िताब पढ़ना ज़रूरी है!!

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मोहम्मद ज़ीशान

नमस्कार, आदाब और इक बार फ़िर आप सभी को मेरा सलाम  मैं मुहम्मद ज़ीशान आज और अभी आप सभी को बता देना चाहता हूँ कि जैसा कि ये मेरी क़िताब मेरे द्वारा लिखी गयी है जिस तरह एक माँ को उसका बच्चा प्यारा होता है ठीक उसी तरह मैंने भी इसको प्यार दिया है और इसको बड़ी मेहनत से और बड़े ही प्यार से लिखा है मुझे उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा पूरा भरोसा है कि जिस तरह मैनें अपनी इस क़िताब को प्यार दिया है ठीक उसी तरह आप लोग भी इसे मुझ से भी ज़्यादा प्यार देंगें इस क़िताब को पढ़ कर,

आप में और हम में थोड़ी दूरी है,,

छोड़ना नहीं इस क़िताब का इक भी 

पन्ना बिना पढ़े क्यों कि इसे पढ़ना ज़रूरी है!!

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