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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयूँ तो होते है, आस-पास हमारे, कही इंसा
पर घूम रहा तन्हा, दबाये राज़ कई, इंसा |
जब होती है दस्तक वहां, धड़कता खंडर जो कांच का
डूबोगे तो जानोगे वहां, दरिया गहन अहसास का |
ये आँखे क्यों भरती है? जज़्बात- मरहम, सब तो दिल का
बया करे हर अफसाना-ऐ-कागज़, जो मोहताज़ दस्तक का |
दर्शिनी शाह
दशिॅनी शाह सरल, गहन, अंतर्मुखी लडकी है, जिसे रहस्यमय रहेना पसंद है। जिनका व्यक्तित्व कलात्मक ओर आत्मा काव्यात्मक है। जिनका "लोग क्या कहेंगे?" इससे वास्ता नहीं है। पहले भी कही किताब का हिस्सा बनकर वे अपनी लेखनी के प्रति प्रसन्न है। वे ज्यादातर व्यंग, प्रेम और कल्पनाओं पर लिखती है, विषयगत कविताओं को अपने यूट्यूब चैनल "ध क्रिएबल्झ" पर प्रकाशित करती है। जिनका अस्तित्व और लक्ष्य गीत, कविताएँ, कहानियाँ लिखना, चित्रकारी करना जैसे रचनात्मक कार्य है।
आप इनसे इंस्टाग्राम के माध्यम से जुड़ सकते हैं: @darshini_shah
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