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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palफूलबासन की कहानी में ग़रीबी का दंश है। वंश को बढ़ाने के नाम पर बेटा और बेटी में किया जाने वाला भेदभाव है। इस कहानी में भूखे पेट की आग है। इस आग में भस्म होते अरमान हैं। पिसता और घिसता बचपन है। भूख मिटाने के लिए किया जाने वाला संघर्ष है। इस संघर्ष के दौरान अमीरों के हाथों ग़रीबों का शोषण है। ज़मींदारों और साहुकारओं का ज़ुल्म-ओ-सितम है। स्वार्थी लोगों की निर्दयता और क्रूरता है। अगड़ी जाति के लोगों का अहंकार और अक्खड़पन है। इस अहंकार में दम तोड़ती दिखाई देती मानवता है। सरकारी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार है। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की ग़रीबों के प्रति उदासीनता है। असामाजिक तत्वों की गुंडागर्दी है। हिंसा है, घरेलु हिंसा है। घर की चारदीवारी में थकती, हारती औरतों की ज़िंदगी है।
इन सबके साथ है, एक लड़ाई। लड़ाई भुखमरी के ख़िलाफ़, ग़रीबी के ख़िलाफ़, सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़, पुरुषों की महिला विरोधी मानसिकता के ख़िलाफ़। यह कहानी है साहस की, विद्रोह की, एक सामाजिक और आर्थिक क्रांति की, एक ग़रीब महिला के क्रांतिकारी बनने की। इस कहानी में चुनौतियों की भरमार है। अनेकानेक प्रतिकूल परिस्थितियाँ हैं। डराने वाले लोग हैं, डर है। डर के आगे जीत है। जीत भी कोई मामूली जीत नहीं, असाधारण जीत है। जीत है बुराई पर अच्छाई की, असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की, ग़रीबी पर संघर्ष की। यह कहानी है एक अतिसाधारण महिला के क्रांतिकारी नायिका बनने की। ग़रीबी और शोषण का शिकार रही एक ग्रामीण महिला के शक्ति का प्रतीक बनने की। लाखों लोगों के जीवन में खुशियाँ और ख़ुशहाली लाने वाली एक सामाजिक कार्यकर्त्ता की।
डॉ. अरविंद यादव
अरविंद यादव जाने-माने पत्रकार और लेखक हैं। पत्रकार के नाते उन्होंने बहुत कुछ देखा, सुना और अनुभव किया है। काफ़ी कहा और बहुत लिखा है। कथनी और लेखनी के ज़रिये असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उन्होंने लड़ाई लड़ी है और अब भी लड़ रहे हैं। समाज में दबे-कुचले लोगों के लिए किये जा रहे संघर्ष ने उन्हें पत्रकारों की फ़ौज में अलग पहचान दिलायी है। पिछले दो-तीन सालों से उनका ज़्यादा ध्यान ऐसे लोगों के बारे में कहानियाँ-लेख लिखने पर है, जो देश-समाज में सकारात्मक क्रांति लाने में जुटे हैं। कामयाब लोगों के जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं को जानना और उन्हें लोगों के सामने लाने की कोशिश करना अब इनकी पहली पसंद है। अरविंद साहित्यिक कहानियाँ भी लिखते हैं। आलोचना में भी उनकी गहन दिलचस्पी है। हिंदी आलोचना की वाचिक परंपरा के हिमायती हैं।
हैदराबाद में जन्मे और वहीं पले-बढ़े अरविंद की सारी शिक्षा भी हैदराबाद में हुई। अरविंद ने हिंदी साहित्य, अंग्रेज़ी साहित्य, क़ानून, विज्ञान और मनोविज्ञान की पढ़ाई की। उन्होंने हिंदी मिलाप, आजतक, आईबीएन 7, साक्षी टीवी, टीवी 9 और योरस्टोरी जैसी नामचीन मीडिया संस्थाओं में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ निभायी हैं। वे इस समय नई दिल्ली में आंध्रप्रदेश सरकार के विशेष कार्य अधिकारी (मीडिया) के रूप में सेवारत हैं।
अरविंद दक्षिण भारत की राजनीति और संस्कृति के बड़े जानकार हैं। ख़बरों और कहानियों की खोज में कई गाँवों और शहरों का दौरा कर चुके हैं। यात्राओं का दौर थमने वाला भी नहीं है।
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