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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह पुस्तक "दूर मन के गाँव में" लेखक के अथक प्रयासों का परिणाम है। इस पुस्तक में जीवन संघर्ष से जुड़ी कुछ अनोखी कविताओं को संग्रहित किया गया है जिन्हें पढ़कर आप अपने जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार कर सकते है। मन में उत्पन भावनाओं को बहुत ही सुन्दर ढंग से कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। कविता की शब्दावली बहुत सरल है।
प्रत्येक कविता स्वरचित है और यें कविताएं लेखक के प्रायोगिक जीवन का परिणाम है या फिर उन अनुभवों का परिणाम है जो लेखक ने अपने आध्यात्मिक जीवन में दूसरों से अनुभव किये है । अपने आचार-विचार को सुद्ध रखने एवं संघर्ष करने की लगातार क्षमता को बनाये रखने के लिए कुछ कविताओं में जीवन विकास से जुडी बातें की गयी है जिन्हें पढ़कर आप अपने अंदर एक नए जोश एवं नयी ऊर्जा का अनुभव कर सकते है।
कभी सोचा है उस पल के बारे में जब कोई अपना अपनों को छोड़कर जाता है और दूर कंही देश में रहता है जँहा केवल हमारी सोच ही पहुँच सकती है। एक एहसास, एक दर्द जो जीवन के हर आयाम को स्पर्श करता हुआ हर पल कुछ नया अनुभव देता रहता है ये सब आपके मन के गाँव में जीवन भर छुपा रहता है। सब कुछ दूर होते हुए भी बिल्कुल पास है ऐसा महसूस होता है।
कई बार जब आप संघर्ष कर रहे होते हैं तो कभी थककर, हारकर या हताश होकर अपने आपको और भी कमजोर कर लेते है पर क्या ऐसा करने से आप एक बेहतरीन जीवन जी पाएंगे ? आपके पास अकेले चलने की क्षमता होनी चाहिए और यही क्षमता आपको आपके लक्ष्य तक पहुँचाने में काफी कारगर होगी।
अरविन्द कुमार
लेखक का जन्म उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के एक छोटे से गाँव सिपहिया में 18 अप्रेल 1999 को हुआ है। विज्ञान विषय में स्नातक के उपरांत लेखक शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है। लेखक एक अध्यापक होने के साथ साथ एक विद्यार्थी भी है।
कभी सोचा है उस पल के बारे में जब कोई अपना अपनों को छोड़कर जाता है और दूर कंही देश में रहता है जँहा केवल हमारी सोच ही पहुँच सकती है। एक एहसास, एक दर्द जो जीवन के हर आयाम को स्पर्श करता हुआ हर पल कुछ नया अनुभव देता रहता है ये सब आपके मन के गाँव में जीवन भर छुपा रहता है। सब कुछ दूर होते हुए भी बिल्कुल पास है ऐसा महसूस होता है।
कई बार जब आप संघर्ष कर रहे होते हैं तो कभी थककर, हारकर या हताश होकर अपने आपको और भी कमजोर कर लेते है पर क्या ऐसा करने से आप एक बेहतरीन जीवन जी पाएंगे ? आपके पास अकेले चलने की क्षमता होनी चाहिए और यही क्षमता आपको आपके लक्ष्य तक पहुँचाने में काफी कारगर होगी।
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