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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअपनों की यादों का एक झरोंखा,
कुछ मीठी-सी फूटी-सी मौसमी स्वादों का एक झरोंखा,
छत की मुंडेरों पर बैठकर बुने इरादों का एक झरोंखा,
मंजिलों की दौड़ में गुम ठिठौली हंसी मुरादों का एक झरोंखा।
बांगड़गढ़ की महत् विरासत एवं हवेली "सांझ "की आन बान शान के रक्षक ठाकुर प्रताप सिंह अद्भुत व्यक्तित्व एवं जीवन अनुभव रखते थे परन्तु जनरैशन गैप से आए अवांछित जीवनमूल्य हीनता के परिणामस्वरूप अपनों की प्रेम पूरित वेदनाओं से विवश होकर हार जाते हैं।कहानी की मुख्य किरदार अवि शिक्षा व्यवस्था को समुचित समानता स्तर पर लागू करवाने की जदोजहद में "जमाल फाउंडेशन " का सक्रिय हिस्सा बनती है ।
"बाबू जमाल " जैसे व्यक्तित्व का चित्रण कर आज की युवा पीढ़ी को देश में सकारात्मक परिवर्तनों का आगाज करने की प्रेरणा यह पुस्तक देती है ।यह पुस्तक आधुनिकता की होड़ लगाती आज की युवा पीढ़ी और बुजुर्गों के बीच खींच गई वैचारिक असमानता की रेखा को सजीव उभारने का एक प्रयास है।
अभावों में भाव भरकर जीवन को उचित दिशा में प्रेरित करने का प्रयास, राजस्थानी संस्कृति एवं रस्मों -रिवाजों का चित्रण करते हुए "एक झरोंखा " पुस्तक में किया गया है । "झरोंखा" किसी भी सीमा के आर -पार हुई असमानता को जोड़ने वाला विचार है जो दो विरोधिक मतों की अन्वयता पर जोर देता है। आज के युग में हम शहरी प्रचलन में आपसी संबंधों को समयाभाव से प्रेम रूपी सिंचन से वंचित रखते हैं एवं तनावग्रस्त रहते हैं ,इसके विपरीत ग्रामीण संस्कृति एक - दूसरे का सहयोग कर सुखी जीवन यापन का संदेश देती है ।
बांगड़गढ़ के इर्द-गिर्द घूमने वाली कहानी की मुख्य पात्र का शास्त्रोक्त"सर्वलोके हि बुद्धिमत्ताम् आचार्य " बुद्धिमान व्यक्ति को सम्पूर्ण संसार कुछ न कुछ सीखाता है ' का अनुभव चित्रित किया गया है।।
" सामाजिक दृष्टिकोण को परिवर्तित करने का सकारात्मक व्यूहचित्रण यह पुस्तक एक झरोंखा है।"
डॉ. अवन्तिका शेखावत
लेखिका डॉ.अवंतिका शेखावत का जन्म 28 अक्टूबर 1997 को वीरभूमि राजस्थान के शेखावाटी अंचल में हुआ । आपने यहीं अपनी विद्यालय स्तर की शिक्षा पूरी की, जिसमें आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आपको राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया। लेखिका एक अच्छी आयुर्वेद चिकित्सक हैं और आपने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा संचालित "राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर " से अपनी पढ़ाई पूरी की है। आप योग और पोषण विज्ञान में विशेषज्ञ हैं और उनकी पढ़ाई में आप गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं।
आप एक कुशल वक्ता होने के साथ-साथ, कुशल नेतृत्व में भी धनी हैं और आप राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की छात्र संघ अध्यक्ष भी रह चुकी है । आप साधारण व्यक्तित्व के साथ अत्यधिक प्रतिभा की धनी हैं। आपके कई लेख और कविताएं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और वेबसाइट्स पर प्रकाशित हो चुकी हैं। कई सामाजिक कार्यक्रमों से आपका गहरा जुड़ाव रहा है जो आपकी लेखनशैली में स्पष्ट रुप से प्रतिबिम्बित होता है । समाज में व्याप्त विभिन्न असमानता के स्तरों को आपने सूक्ष्मता से अवलोकित किया है , जिसे इस पुस्तक "एक झरोंखा" 'अपनों की प्रेम वेदना' में अति- भावनात्मक रूप से संग्रहित करने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक कालांतर में हिंदी साहित्य की एक श्रेष्ठ कृति साबित होगी।
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