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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमानव मन एक अंतरिक्ष की तरह है, असीमित, अनंत, रहस्यमयी और रोमांचकारी किंतु एक व्यवस्था से, एक असीम सत्ता से संचालित I कविताओं का यह संग्रह उस यान की तरह है जो उस अनंत विस्तार में कदम रखने का साहस करता है I
मुझको सुन कर ये बोल गया ,
पंछी उड़ कर ये बोल गया
तुम आसमान में भी रखना
कुछ इंतज़ाम कविताओं का
………
मंगल पर जाना हो मुझको,
कविता राकेट बन जाती है
बस कुछ शब्दों के ईंधन से,
कई घंटे यान चलाती है
शुभ चिंतन
लेखक भारतीय राजस्व सेवा (IRS, 1993 Batch) के अधिकारी हैं एवं वर्तमान में आयुक्त(GST), गुरुग्राम के पद पर कार्यरत हैं । लेखक की शिक्षा कक्षा बारहवीं तक हिंदी माध्यम से ज़िला अलीगढ़ में हुई और तत्पश्चात इंजीनियरिंग की डिग्री उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राप्त कीl लेखक IIT दिल्ली में भी M.Tech के छात्र रह चुके हैं I लेखक को उनकी असाधारण कर्तव्यनिष्ठा एवं विशिष्ट सेवाओं के लिये गणतंत्र दिवस 2014 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है । लेखक को सीमा शुल्क प्रशासन में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिये विश्व सीमा शुल्क संगठन के महासचिव द्वारा भी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है ।
लेखक का ये छठा काव्य संग्रह है I इससे पहले उनके पाँच संग्रह , ‘ओट से मन दिखता है ‘ , ‘ मटकिया भरी नहीं ‘ , ‘ संवाद राम और कान्हा से ‘ , ‘ मिसरा मिसरा ग़ज़ल आशिक़ाना हुई ‘ और ‘एक इंद्रधनुष शतरंगी ‘ प्रकाशित हो चुके हैं I
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