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EK SATHI AUR BHI THA / एक साथी और भी था

Author Name: Madhav Kumar Jha | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

सभी पाठको को मेरा प्रणाम आशा करता हूँ की आप लोगो को ये कहानी पसंद आई होगी ,

देखा जाये जो पुस्तकों की मौजूदगी का सबूत हमारे वेद और पुराण देते हैं, लेकिन इनका सही मायनों में विकास कई वर्षों बाद हुआ। पुस्तकों का उपयोग हम ज्ञान के संग्रहण के लिये करते हैं। पहले के ज़माने में लोग मौखिक रूप से शिक्षा लिया करते थे। गुरु अपने गुरुओं से जो ज्ञान प्राप्त करते थे वही अपने शिष्यों को भी दिया करते थे। परंतु यह तो निश्चित ही था की, इस प्रकार कुछ न कुछ ज्ञान छूट ही जाया करता होगा। फिर कागज की खोज के बाद, लोग अपनी कक्षा में सीखी गयी बातों को लिख लिया करते थे। और शायद यही वजह है की आगे चल कर हमे अपने इतिहास संबंधित जानकारी आसानी से प्राप्त हो पाई।

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माधव कुमार झा

बदलाव इस संसार का नियम है और इन बदलाव से प्रभावित होना हमारा स्वभाव है उसी बदलाव से मन में उठे भावनाओ की तरंगो को सव्दो की मध्यम से पन्नो पे उतारने की कोशिस किया है ! मिलने की खुसी और उनके साथ का एहसास , उनसे बिछरने का गम और इन सबको ठीक न कार पाने का मलाल , यही दिल की सब बातो को " इस किताब एक साथी और भी था " में कहानी की माध्यम से लिखने का प्रेस किया है !!

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