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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palएक शाम प्रेमचंद के नाम, प्रेमचंद के जीवन की दिशा निर्धारित करने वाली घटनाओं और उनकी कुछ कालजयी कहानियों का नाट्यरूपांतरण है। इसमें कुछ नये प्रयोग किये गये हैं। कहानियों में वर्णनात्मक विवरण से अधिक दृश्यों को महत्व दिया गया है। प्रेमचंद की जीवनी को भी यथेष्टरूपेण दृश्यात्मक(विजुअल) बनाया गया है।
कफन एक मर्मस्पर्शी विडंबनापूर्ण करुण-हास्यकथा है। एक स्त्री की प्रसव-पीड़ा झेलते-झेलते मृत्यु हो जाती है। उसके पति व ससुर कफन के लिए चंदा इकट्ठा करते हैं। पर उन्हें आभास होता है कि यह सब कितना निरर्थक है। कथानक भयावह दारिद्र्य में भी जीने की सहज प्रवृत्ति दर्शाता है।
सद्गति में प्रेमचंद ने अछूतों के सामाजिक शोषण और उच्च वर्गों द्वारा उन पर किये जा रहे अमानवीय अत्याचार का निरूपण किया है। ऐसा काला सच जो आज के भारत में भी रह-रह कर अपना सर उठाता है।
पंच-परमेश्वर सरपंच के न्याय की कहानी है। जलन और द्वेष की कहानी है। साथ ही जिम्मेदार पद की गरिमा की रक्षा की कहानी है।
पूस की रात एक निर्धन किसान की कहानी है। वह कैसे पूस की हाड़ कँपा देनेवाली भयानक ठंड में खेत में अपने कुत्ते जबरा के साथ रात बिताने के लिये विवश है।
एक शाम प्रेमचंद के नाम में स्वयं प्रेमचंद और उनकी कहानियों के पात्र, पन्नों से बाहर निकल कर आपको कठघरे नें खड़ा कर देते हैं।
Mathura Kalauny
Mathura Kalauny, born in Uttarakhand, is an author who has made Bengaluru his home. He is the founder of Kalayan Theatre Group (1988) and Kalayan Hindi Webzine (1999). He is the producer and director at Kalayan Theatre.
Formerly a Research Manager in ITC, he has been writing since 1980, and producing and directing plays since 1988. Kalauny has written over seventeen full-length plays, twelve short satirical plays, four novelettes, one Kahani Sangrah, approximately 150 short stories for major Hindi publications of the country, three radio plays and one play for Doordarshan.
He has been honoured on many platforms, both local and international, and has been invited to read his plays in Antarashtriya Hindi Sammelan in Cambodia, Beijing and Assam-Meghalaya. Kalauny will take you on a profound multi-dimensional journey of self-discovery that will not only expand your awareness, but also push the doors of perception wide open!
Please visit Kalauny at www.mathurakalauny.com to learn more about his background and interests.
He can be contacted at kalauny@gmail.com
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