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gaadi aur bawaal / गाड़ी और बवाल एक मीठा झूठ

Author Name: Manjul Manish | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

खींच के बैठाओ तब भी न पढ़े ऐसी पीढ़ी में किताब में लिख कर समझाना सोचिये कितना कठिन होगा . पर जो लिखा है वह बोल नहीं पा रहा हूँ . लिखा भी ऐसे की कोई ऊपर ऊपर पढ़ ले तो भाव ही नहीं समझे . एक नाजुक तार है उसे छेड़ा है . हसाने की कोशिश की है , भाव भी समझाने की कोशिश की है . आशा है आपको पसंद आये . अलेश्वर नाम के शहर को बनाया  है उसमे कई गाड़िया बनायीं है और उनके आकार के आधार पर थोड़ी सी बहस को दिखाया है . किताब जब तक ख़तम होगी तब आपको एहसास होगा की बात गाड़ियों की है ही नहीं .

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मंजुल मनीष

रोटी , कपडा , मकान और अच्छी गाड़ी के लिए मैंने नौकरी की . १९८६ में पटना में जन्म लेने के ३३ साल बाद एहसास हुआ की असली मज़ा गाड़ी में नहीं लिखने में है . रोटी के लिए अब भी हर दिन बैंक की नौकरी करने जाता हूँ पर अच्छी नींद के लिए लिखता हूँ . लिखने के क्रम में कुछ ऐसी बातें हुई की मेरी कहाँ प्रभावित हुई . निजी जिंदगी के उतार चढाव को निचोड़ कर समाज का चाट मसाला मिलाया और " सड़क , गाड़ी और बवाल " बन कर तैयार हुई .

यह दूसरी किताब है , पहली उस भाषा में लिखी थी जो रोटी देती है , दूसरी उस भाषा में जो मुझे बिना सौदे के मिली .

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