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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘क’ से कहानी और ‘क’ से ही कविता होती है। कविता और कहानी दोनों में ही ‘क’ से कथन होता है तथा दोनों में ही ‘क’ से कल्पना का समावेश भी हो सकता है। इस तरह कविता और कहानी में काफ़ी समानताएँ हैं परन्तु फिर भी कुछ भिन्नताएँ भी हैं और इन्हीं विभिन्नताओं ने मुझे कहानियों के साथ-साथ कविताएँ लिखने के लिए लालायित किया।
थोड़े शब्दों में ही अपनी बात कहने का सामर्थ्य, छंदबद्धता तथा गेयता कविता और कवि के कुछ ऐसे विशेष गुण हैं जिनके कारण कविताएँ साहित्य की अन्य विधाओं से हटकर प्रतीत होती है। और फिर बाल गीतों की तो बात ही कुछ निराली होती है। नन्हे-नन्हे बच्चे, अपनी तुतलाती बोली में, जब इन गीतों को गुनगुनाते हैं तो वातावरण सुमधुर हो जाता है और जब कवि इन नन्हें-नन्हें गीतों में भाँति-भाँति के भाव भर देता है तो सुनने वाला उनको सुनकर भाव विभोर हो जाता है। नन्हें बालक तो नादान होते हैं। वे कविता के अर्थ नहीं समझते परंतु उसकी लय-ताल और तुकांतता उसे भी आकर्षित करतीं हैं और इसी आकर्षण के कारण वे उठते-बैठते सोते-जागते, पढ़ते-खेलते, इन कविताओं को गुनगुनाते हैं।
‘गीत गुनगुनाओ’ मेरा दूसरा बाल-गीत संग्रह है। मेरा पहला बाल-गीत संग्रह ‘गीत-गुलशन’ 2001 में ‘राजस्थान साहित्य अकादमी’ के सौजन्य से प्रकाशित हुआ था। इसके बाद बहुत से बाल-गीत लिखे और वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी होते रहे परंतु उनके संग्रह प्रकाशित न करवा पाई। परंतु इन दिनों मैंने यह महसूस किया कि अधिकाधिक बालकों को लम्बे समय तक बालगीत उपलब्ध कराने के लिए बाल-गीत संग्रह प्रकाशित करवाने की नितांत आवश्यकता है। बस इसी प्रयास में इस बाल-गीत संग्रह को तैयार किया है।
कुसुम अग्रवाल
जन्म-अलसीसर, जिला झुंझुनू, राजस्थान
शिक्षा- एम.ए. (अंग्रेज़ी)
संप्रति-पिछले पैंतीस वर्षों से लगातार साहित्य सृजन में संलग्न। साहित्य की सभी विधाओं- गज़ल, गीत, कविता, कहानी, लेख, डायरी, नाटक, आत्मकथा में लेखन व देश की प्रख्यात पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।आकाशवाणी से भी रचनाओं का प्रसारण।
प्रकाशित पुस्तकें: पिंकू के कारनामे (पंजाबी), गीत गुलशन (बाल गीत संग्रह), परंपरागत खेल (फ्लिप बुक), द मंकी एंड द ओल्ड वूमेन, मारू फिर कब आओगे (बाल उपन्यास), नानक वाणी, अभी ज़िंदगी और है (प्रौढ़ कथा संग्रह), बाल कथा संग्रह - कबूतर उड़ गए, अंत भले का भला, ग़ुब्बारों की एकता, राधा इस्कूल जावैगी (राजस्थानी), बाल एकांकी संग्रह - हम सब एक हैं ।
पाठ्य पुस्तकों में रचनाओं का प्रकाशन: मधुप हिंदी पाठमाला- 2 में कविता "परंपरागत खेल", मधुप हिंदी पाठमाला- 4 में नाटक 'चाणक्य'
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