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girdaab / गिर्दाब

Author Name: Shamoil Ahmad | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

गिर्दाब स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित मनोवैज्ञानिक उपन्यास है | उपन्यास की कहानी प्रेम-घृणा सूत्र से बन्धी हुई है | पूर्ण समर्पण के बावजूद भी स्त्री अपनी आंतरिक सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने तमाम अंतर्विरोधों और कुंठाओं  के साथ संघर्षरत दिखाई देती है |

 नायक 50 वर्ष का शादीशुदा पुरुष है और नायिका 40 वर्ष की विवाहित स्त्री है | दोनों के अपने बच्चे हैं लेकिन दोनों एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते हैं और उनमें शारीरिक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है | पुरुष उसको दूसरे शहर में ले आता है जहां स्त्री अपने पति को छोड़ कर पुरुष की रखेल बनकर रहने लगती है | स्त्री पुरुष के प्रेम में डूब जाती है लेकिन पुरुष अब उलझन महसूस करने लगता है | उसे लगता है उनके बीच प्रेम नहीं सेक्स है और वो स्त्री-देह के गिर्दाब में फंस गया है | स्त्री  के साथ सहवास करते हुए उसे अपनी शक्ल सूअर की तरह लगती है | उसे लगता है कि वो इसी काम के लिए उसके पास आता है | वो घृणा से भर जाता है लेकिन स्त्री पर नजर पड़ती है तो उसके साथ हमबिस्तर हुए बिना नहीं रहता | आखिरकार स्त्री से छुटकारा पाने के लिए वो उसकी हत्या  की योजना बनाता है |

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शमोएल अहमद

शमोएल अहमद 

जन्म ; 4 मई 1943 

जन्म स्थान ; भागलपुर , बिहार 

कुछ प्रमुख कृतियाँ ; सिंगारदान, नदी, महामारी , चमरासुर , ऐ दिले आवारा , गिर्दाब , 21 श्रेष्ठ कहानियाँ 

प्राप्त सम्मान ; मजलिस फरोग़ उर्दू दोहा-क़तर  के अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित । उत्तर प्रदेश उर्दू अकाडमी एवं बिहार उर्दू अकाडमी के पुरुस्कार |

जीवन परिचय ;           हिन्दी एवं उर्दू में समान अधिकार से लेखन | बोल्ड, साहसिक , सेक्स एवं मनोविज्ञान केंद्रित विषयों के लिए सूप्रसिद्ध , कहानियों में इतिहास, दर्शन, यथार्थ और व्यंग का अजीब मिश्रण | कहानियाँ अनेक भारतीय भाषाओं में अनूदित , अंग्रेजी में उपन्यास ‘’ रीवर ‘’ और कहानी संग्रह ‘’ द ड्रेसिंग टेबुल ‘’ जस्ट फिक्शन जर्मनी द्वारा प्रकाशित।|

सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक । बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में मुख अभियंता के पद से सेवा निवृत और अब स्वतंत्र लेखन |

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