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Gumrah Hamrahi / गुमराह हमराही

Author Name: Baboo Lal Tiwari | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

गुमराह हमराही उपन्यास तीन अलगअलग जोड़ों के वैवाहिक जीवन की असफलता पर लिखी गई है।  यह सत्य कथा पर लि गई है तथा इसके पात्र काल्पनिक हैं।  लेखक के अपने स्वयं के निरिक्षण से उन्होंने तीन कथाएं चुनी, उसका विश्लेषण भी किया और उसका निदान  भी सुझाया।  इन तीन कथाओं के नायक नायिका के जोड़े हैं दिनेश-पंकजा। शलभ-रीना और गौरव-साइना।  तीनों का विवाह उनके और उनके घरवालों की मर्जी से हुआ। और शुरू के कुछ सालों में गृहस्थी भी अच्छी चली लेकिन कुछ साल बाद ही उनमे मनमुटाव और तनाव शुरू हो गया और वैवाहिक जीवन में कटुता आ गई।  दिनेश की पंकजा से दूसरी शादी थी क्योंकि उनकी पहली पत्नी की  शादी के एक साल बाद ही मृत्यु हो गई थी।  दिनेश अपनी पहली पत्नी दीपा से बेहद प्यार करते थे इसलिए पंकजा से शादी के बाद भी वह उसे बहुत याद करते थे और उनका यह प्रेम भी उन्होंने पंकजा से कभी नहीं छुपाया और उसे उन्होंने उतना ही प्यार दिया जितना एक पति को अपनी पत्नी को देना चाहिए।  फिर भी पंकजा का शक्की स्वभाव विचारों की अपरिपक्वता से संबंधों में दरार आ गई।  दिनेश ने दुखी होकर सब सहा और अंदर से अकेले हो गए। हालाँकि उन्होंने तलाक नहीं लिया।  शलभ रीना की भी शादी उनकी मर्जी से धूमधाम से हुई  लेकिन शादी के पश्चात् सुहागरात में ही रीना ने शलभ से कहा कि शादी से पहले उसका किसी लड़के से प्रेम था।  शलभ ने उसे शांत चित्त से सुना और कहा की अकसर कई बार ऐसी जवानी के जोश में होता है लेकिन शादी के बाद सब भूलकर अपनी नई  जिंदगी शुरू करते  है और सफल होते  है।  शलभ ने कोई किन्तु अपने मन में नहीं रखा परन्तु रीना अपने  प्रियवर को भूल न पाई और दोनों के संबंधों में दरार पड़  गई और उनका तलाक हो गया। 

 

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बी एल तिवारी

श्री बी एल तिवारी अब एक वरिष्ठ नागरिक है ।  जब वे छोटे थे तभी से भ्रष्टाचार से लड़ना  शुरू कर दिया था ।  अब तक उन्होंने 10  7 मामलों में न्याय पाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का इस्तेमाल किया और सभी मामलों   कोकील के बिना जीता है । हाल ही में "उपभोक्ता अदालत में न्याय के लिए लड़ाई " शीर्षक (FIGHT FOR JUSTICE IN CONSUMER COURT) से एक पुस्तक लिखी ।  पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है और पुस्तक स्टालों (book stalls) और  किताब की दुकानों में बिक्री के लिए उपलभ्ध  है ।  वे पेशे से एक इंजीनियर है ।उन्होंने बी.ई.-मैकेनिकल इंजीनियरिंग (B.E.(Mechanical Engineering ) एनआईटी भोपाल ( रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज , भोपाल , मध्य प्रदेश) से स्नातक की डिग्री प्राप्त की / एम.टेक-औद्योगिक इंजीनियरिंग (M.Tech-Industrial Engineering ) वर्ष 1980 में  आई आई टी दिल्ली से, वित्तीय प्रबंधन में डिप्लोमा  1992  में  ।  उनका शैक्षणिक जीवन बहुत उज्ज्वल था ।  मध्य प्रदेश में 1963 में बोर्ड परीक्षा  मेरिट सूची में  वां था और18 उन्हें राष्ट्रीय योग्यता छात्रवृत्ति (National Merit Scholarship ) से सम्मानित किया गया ।  अखिल भारतीय स्तर पर आईआईटी दिल्ली में एम. टेक पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान पाया ।  उन्होंने एसीसी लिमिटेड , फर्टिलाइजर कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड , भेल , इस्पात इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उच्च स्तर के कई अन्य निजी कंपनियों में काम किया. उनका पिछला काम 1200 MW  मेगावाट थर्मल पावर प्लांट का निर्माण।  वे एक बिजली कंपनी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे ।  अपने जीवन में उन्होंने किसी को रिश्वत नहीं दी और न ही किसी से भी वित्तीय एहसान कभी लिया. ।  भ्रष्ट अधिकारी को पकड़वाने के लिए, भ्रष्टाचार निरोधक प्रमुख के साथ व्यक्तिगत संपर्क किया करते थे ।  ऊपर उल्लेखित किताब लिखने का इरादा ये है की अनन्याय के खिलाफ बिना वकील किये कंस्यूमर कोर्ट में लड़ा जा सकता है । लेखक ने अपने जीवन के घटनाचक्रों को  केंद्र में रखकर "अभिलाषा पुनर्जन्म में पुनर्मिलन की " लिखी जिसकी गणमान्य विख्यात जनों ने मुक्तकंठ से सराहना की।   “अभिलाषा पुनर्जन्म की”   पुस्तक को लिखने का उद्देश्य पाठकों को यह बताना है की कड़ी मेहनत, ध्यान केंद्रित दृष्टिकोण और लगन से इक्षित लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है और कठिन परिश्रम निश्चित रूप से जीवन में सफल बनाता है ।  लेखक लोगों के मनोविज्ञान को भलीभांति समझता है और उन लोगों के साथ मनोवांक्षित परिणाम प्राप्ती के लिए कैसा व्यवहार करना है ,अच्छी तरह से जानता है , लेखक में विश्लेषणात्मक कौशल और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की शक्ति है ।  विफलताओं से निराश कभी नहीं होना चाहिए .। 

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