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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमैं, मनोहर लाल बख्शी, अपनी जीवन की यादे आपके लिए प्रस्तुत करना चाहता हूं। हालांकि, मैं कवि नहीं हूं, लेकिन मैंने अपने जीवन में हर अनुभव को देखा-परखा है। मेरे अनुभवों में मेरे बचपन के दिनों में सामने आई हर परिस्तिथि शामिल हैं। साथ ही साथ जिन लोगों ने मुझे अपने बढ़ते वर्षों में दुलार दिया। ये कविताएँ मेरे जीवन को प्रतिबिम्बित करती हैं, मेरी आंतरिक दुनिया को दर्शाती हैं, जिसके माध्यम से मैं हर पल, जैसे भी और जब भी चाहूँ, सुकून महसूस कर सकता हूँ।
मेरे तीनो बच्चो ने, भूमिका, मोनिका और अनमोल ने मुझे इन कविताओं को आप सबके साथ साझा करने और प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया। यह पुस्तक उनके लिए है, जो अपने अच्छे पुराने दिनों को भूल गए हैं। इसको पड़ कर आप अपनी यादों को ताजा कर सकते हैं, और आंतरिक शांति महसूस कर सकते हैं।
इसी दृष्टिकोण के साथ, मैं अपने जीवन की यादों को साझा कर रहा हूं। इन कविताओं को पढ़ने के बाद, आप मुझे और मेरे जीवन को बेहतर जान पाएंगे।
मनोहर लाल बख्शी
मनोहर लाल बख्शी
आज जब मैं 80 साल का हो रहा हूं, तो मैं अपनी कविताएं केवल व्यक्तिगत कारणों से साझा करना चाहता हूं। मेरी दो बेटियाँ, मेरी कविताओं को प्रेरणादायक मानती हैं और महसूस करती हैं कि और लोग भी इससे लाभ उठा सकते हैं। आज उनके लिए है कि मैं अपनी कविताओं को एक उम्मीद के साथ साझा करना चाहता हूं यह किसी की मदद कर सकती है, कहीं आंतरिक शक्ति और शांति पा सकता है, जैसे मैं करता हूं।
कैंसर और किडनी के की बिमारी के बाद , मैंने अपने बच्चों को संभाला और उन्होंने मुझे। वे चाहते थे कि मैं अपने जीवन के इस चरण के दौरान लिखना बंद कर दूं। यह भी मेरी ज़िन्दगी का एक दौर था, उन्होंने मेरी सभी लेखन क्रिया भी बंद कर दी है। मैं दुखी था और मैंने अपने बच्चों से इसके बारे में बात की और उनसे पूछा कि क्या वो मुझे मेरी जीवनरेखा से दूर रखना चाहेंगे।
मुझे लिखने के लिए मना करनाा , मुझे रोकना, मेरे लिए खाना , सांस लेना और धूप के दिन ठंडी हवा का आनंद न लेने के जैसा होगा । उन्हें एहसास होने लगा की लेखन मेरा जुनून ही नहीं है बल्कि यह मेरा जीवन है। और, मैं मानसिक रूप से मजबूत हूं कि मुझे जो भी करना है, उसे जारी रखूं। कुछ भी मुझे डरा नहीं सकता, यहां तक कि कैंसर भी नहीं।
मेरे जीवन का बाकी हिस्सा काकवॉक नहीं होगा। मैं अक्सर अस्पताल के अंदर और बाहर रहूंगा। मुझे आशा है कि जो मैं नहीं बदल सकता (कैंसर) उसे जाने देने के लिए और अधिक साहस खोजने की जरूरत है - और भले ही जब मैं नरक से गुजर रहा हूं, तब भी चलता रहूंगा। यह सोच मुझे मजबूत बनाएगी ।
कैंसर, मुझे नहीं तोड़ सकता। मेरा मानना है कि, यह मुझे और अधिक ताकत देगा।
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