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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palवास्तव में जीना क्या है? साधारणतया, कहने को तो सभी प्राणियों के जीवन के जीने को भी जीना ही कहा जा सकता है, किन्तु उनके जीवन जीने तथा एक मनुष्य के जीवन जीने के ढंग में बहुत अंतर है। मनुष्य का जीवन एक उद्देश्यात्मक जीवन है। मनुष्य के जीवन का कोई अर्थ है। मनुष्य को सृष्टि के रचयिता ने मनोमस्तिष्क दिया हुआ है तथा इसके साथ ही बहुत सी सुविधाएं भी प्रदान की हुई है। उसमें सोच विचार व निर्णय लेने की क्षमता सभी से अधिक है। इसलिए ही उसमें एक श्रेष्ठ जीवन जीने की योग्यता भी है तथा क्षमता भी है।
वास्तव में मनुष्य के जीवन में ऐसा तो कुछ होना ही चाहिए जिससे कि कोई भी गर्व पूर्वक कह सके कि जीना इसी का नाम है। स्वयमेव ही मुंह से निकल आये कि जीना इसी को कहते हैं 'जीना इसी का नाम है।
राज ऋषि शर्मा
राज ऋषि शर्मा एक जाने माने लेखक, कवि तथा साहित्यकार होने के साथ साथ ही एक अच्छे चित्रकार भी हैं। राज ऋषि शर्मा की अनेक रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं तथा संग्रहों में प्रकाशित हो चुकी हैं।इन की प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों में 'सपनों की दुनिया' (विश्लेषणात्मक) का नाम लिया जा सकता है, जो स्वप्न विश्लेषण तथा इसके संदर्भ में विस्तृत मनोविज्ञान तथा विज्ञान पर आधारित है। इसके अतिरिक्त इनकी 'सफल जीवन' नाम की प्रेरणात्मक पुस्तक भी विशेष चर्चा में है। जिसमें जीवन में सफलता के विपरीत 'सफल जीवन' पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन की अन्य पुस्तकें हैं, 'स्वप्न विश्लेषण' 'सपनों का मायाजाल'(विश्लेषणात्मक) 'बहती धारा नदिया की' का द्वितीय संस्करण 'पल भर की छाँव’ (लोक-परलोक पर आधारित रोमांटिक उपन्यास)'अदृश्य लोक’(विश्लेषणात्मक) ‘जीना इसी का नाम है’ (प्रेरणात्मक),’मैं साधु नहीं’(आध्यात्मिक),’आप स्वयं को बदल सकते है’(प्रेरणात्मक)'सुहाने पल'(काव्य-संग्रह)’चांदनी’(लघु उपन्यास) 'हर वर्ष पुनर्जन्म' (ई-बुक) एवं 'स्वप्न संसार' (ई-बुक)। अनेक विधाओं में इन की विभिन्न रचनाएँ रेडियो कश्मीर जम्मू द्वारा भी प्रसारित हो चुकी हैं।
राज ऋषि शर्मा १९७५ में 'महक' पत्रिका के संपादक एवं प्रकाशक भी रहे हैं एवं इसके साथ ही १९७७ में 'राजर्षि कल्चर क्लब' का संचालन भी इन की प्रमुख गतिविधियों में सम्मिलित रहा है। इन दिनों लेखन कार्य के साथ साथ 'महकती वाटिका' नामक काव्य संग्रह का श्रृंखलाबद्ध रूप से सम्पादन व प्रकाशन भी कर रहे हैं।
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