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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहर किसी के जीवन मे अक्सर ऐसी चीज़े होती हैं जिनको वो पुरा नहीं कर पाते या तो फिर किस्मत पुरा नहीं होने देती, बस इन्हीं बातों से या तो हम डर जाते हैं या तो हम उसी चीज को लेकर अटक जाते हैं । मैंने भी कुछ ऐसा ही प्रस्तुत करने का प्रयतन किया हैं, की कैसे अगर हम कोई चीज़ या बात को छोड़ देते हैं तो किस्मत कैसा अंजाम पेश करती हैं । "कहानी जो कभी ना हुई शुरू ", इस एक वाक्य को पढ़कर की हमे पता चलता है की ये वो कहानी होगी जो अंत मे अधूरी होगी । यह कहानी एक पिता और उसकी बेटी की है । वो पिता जो पहले अपनी बेटी को नहीं चाहता और फिर वो बेटी अपनी मंज़िल पर खुद चलना ठानती हैं। और संजोग मिलकर ऐसा रूप लेते हैं की दोनो पिता और बेटी एक दूसरे के सामने आते हैं । संजोग तो मिलते हैं लेकिन किस्मत नहीं और अंत में कहानी अधूरी रहती हैं ।
दिया पदमानि
एम.बी.ए प्रथम वर्ष की छात्रा, युवा हिन्दी एवं गुजराती लेखिका दिया पदमानी कच्छ शहर, गुजरात से ताल्लुक रखती हैं । दिया जी पिछले दो साल से पढाई के अलावा लेखन में बेहद रुचि के चलते पिछले साल इन्होंने "FRIENDSHIP: A BOND BEYOND GALAXIES" नाम की किताब भी लिखी हैं। लेखिका दिया के अनुसार "लेखन" भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका है। इनका मानना है कि लिखने से इनका तनाव कम होता है और इनकी खुशी भी बढ़ती है। इनका मकसद दूसरों की खोई हुई आत्मा को वापस लाना और उस व्यक्ति को यह एहसास दिलाना है कि वे क्या हैं। इनके मन में ताज़ी पत्तियों के बारे में सोचा है जो कभी नहीं गिरेगी। हर किसी के पास अपने सुस्थापित भविष्य का मुख्य मकसद होता है लेकिन दीया जी का मकसद खुद को अच्छी तरह से बसाना है। वह इस बारे में लिखती है कि एक आंतरिक आत्मा क्या समझा नहीं सकती है। वह काम को परफेक्ट बनाने में भी विश्वास रखती हैं। वह सोचती है कि हमारी माताएँ पूर्णता का आदर्श उदाहरण हैं। वह हरे रंग के पेड़ की सकारात्मकता के साथ रहती है जो कभी भी वसंत के मौसम को नहीं छूएगा। इन्होंने यह किताब लिखकर एक कदम आगे बढ़ाया। दीया जी का मानना है की एक लेखक की पहचान उनके शब्दों से ज्यादा, शब्दो से जुड़े भाव से होती है । और इस किताब मे भी इन्होंने अपने शब्दो को अपने भाव से जोड़कर एक नई कहानी की रचना की हैं ।
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