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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसौमित्र की कविताओं का मैं पाठक रहा हूँ -वह भी लम्बे समय से। कह सकते हैं कि मैंने सौमित्र की प्रारंभिक कविताएँ पढ़ी हैं और उनके क्रमिक विकास से परिचित हूँ । उसी आधार पर मैं यह कह रहा हूँ कि सौमित्र मूलतः रिश्तों के कवि हैं। भाई-बहन, मौसी-माँ-पिता जैसे आत्मीय संबंधों को वे जीते हैं और इस बहाने समय की विडम्बना के बीच सबको याद करते हैं। इस याद में कवित्त की संरचना अपना रूप लेती है जिसमें दुःख है, पीड़ा है-पर हाहाकार रूप में नहीं। मौन रूप में जो गहनता होती है वह हाहाकार में ख़त्म हो जाती है। सौमित्र रिश्तों के साथ जगहों को खूब याद रखते हैं-एक मॉडल बना लेते हैं जैसे 'भोपाल कभी नहीं गया,' कविता में-फिर वे उसके मार्फ़त शहरों के साथ इंसान के अंदर पल-पल बदल रहे रिश्ते की अमूर्त जुगराफिया को जबान देते हैं। कह सकते हैं सौमित्र की कविताओं में स्थानीयता का भारी महत्त्व है। और कहा भी जाता है कि जो स्थानीय है वह अंततः पूरे विश्व-फ़लक की यात्रा का सामर्थ्य रखता है। सौमित्र अपने अग्रज कवियों में वीरेन डंगवाल की तरह हर विषय में कवित्त तलाश लेते है- कैंसर जैसा असाध्य रोग हो या विज्ञान की क्वांटम भौतिकी-उसमें काव्य रोशनी इस तरह डालते हैं कि उसमें प्राण-वायु की तरंगें फूटने लगती हैं। अपनी काव्य परम्परा के साथ, जीवन के बग़ल नहीं, वरन उसमें धँसकर चलने वाले कवि सौमित्र की कविता में सुख भी है, दुःख भी है, आशा भी है, निराशा भी, लेकिन पस्ती और शिकस्त से वे गुरेज़ रखते हैं। यही उनकी कविता की ताकत है।
-हरि भटनागर
सौमित्र
सौमित्र पिछले ढाई दशकों से कविताएँ लिख रहे हैं और समकालीन हिंदी कविता की दुनिया में एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में पहचाने जाते हैं। 150 से अधिक कविताओं और कई कहानियों को उनके नाम पर श्रेय दिया जाता है, और उनमें से कई प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं, संकलनों और समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं।
सौमित्र का जन्म उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर मेरठ में हुआ था। भारत से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सौमित्र केमिकल इंजीनियरिंग में पीएच-डी करने के लिए शिकागो चले गए। सौमित्र ने कविताएँ लिखना जारी रखा और उन्हें भारत भेजा जहाँ उनकी कविताएँ नियमित रूप से छपती रहीं।
कई साहित्यिक कार्यों के बीच, सौमित्र का पहला कविता संग्रह, ‘मित्र,’ प्रकाशित हुआ। यह संग्रह समीक्षकों द्वारा प्रशंसित किया गया था, और उन्हें 2008 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रतिष्ठित भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार मिला। 'मित्र' ने अच्छी प्रशंसा हासिल की और इसे अमेरिकी विश्वविद्यालयों और वाशिंगटन डीसी- में स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में शामिल किया गया है। 'मित्र' का अंग्रेज़ी अनुवाद प्रसिद्ध मीडियाकर्मी और लेखक धीरज सिंह ने किया और जो ‘I like to wash my face with seawater,’ शीर्षक से 2020 में प्रकाशित हुआ है। एक लंबी कविता, ‘एक स्वप्नद्रष्टा का रोमांटिसिज़्म’ रचना समय से 2011 में प्रकाशित हुई। भारत के प्रसिद्ध वॉयस-ओवर कलाकार हरीश भिमानी ने सौमित्र की तीन काव्य पुस्तकों को अपनी आवाज़ दी । प्रकाशन पथ पर कई पुस्तकों में बंगाल की वैष्णव परम्परा की पृष्ठभूमि पर आधारित एक उपन्यास, ‘अमर चित्र,’ शामिल है।
स्नातकोत्तर शिक्षा के बाद सौमित्र ने अपना अधिकांश जीवन भारत से बाहर गुजारा। वर्तमान में, वे मध्य-पूर्व एशिया के एक प्रमुख विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक के रूप में काम करते हुए कार्बन फुटप्रिंट में कमी और जलवायु परिवर्तन शमन के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे हैं ।
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