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Kashi ke Barah Jyotirling / काशी के बारह ज्योतिर्लिंग

Author Name: Dr. Jagadeesh Pillai | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

काशी के गली मोहल्ले  एवं पौराणिकता से दुनियाभर के सभी लोग प्रभावित  रहते हैं, कई साल पहले जब स्कन्दपुराण  में काशी खण्ड पढ़ रहे थे  तब समझ आया की काशी में ही बारहों ज्योतिर्लिंगों का मंदिर है और कोई भक्त चाहे तो सुबह से शम्म तक में बारहों ज्योतिर्लिंग का दर्शन प्राप्त कर सकते हैं|

वैसे तो भारत में अलग अलग जगह  पर स्थित बारहों जगह पर पाना  शायद सब के लिए आसान नहीं होगा, मगर जो भक्तगण  काशी आ सकते हैं वो लोग यहीं पर बारहों ज्योतिर्लिंग का दर्शन एक दिन में ही कर सकते हैं या सुविधानुसार  दो तीन तिन में कर सकते हैं| 

स्कन्दपुराण  के काशी खण्ड को पढ़ते हुए एक एक ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने की इच्छा हुई और उसके खोज में निकल पड़े| करीब डेढ़ महीने लगे मुझे बारहों का दर्शन करने में| कुछ ज्योतिर्लिंग मंदिर के अगल बगल रहने वाले स्थानीय लोगों को भी बगल में स्कन्दपुराण के काशी खण्ड में वर्णित ज्योतिर्लिंग मंदिर होने के बारे में जानकारी ही नहीं थी|

फिर कला एवं फोटोग्राफी करने वाले बच्चों को बारहों ज्योतिर्लिंग का फोटोग्राफी करने को कहा गया और धीरे धीरे सभी को इसकी जानकारी देने लगे|

इस पुस्तक में काशी के बारहों ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ स्थित है उसकी जानकारी दिया हुआ है|

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डॉ. जगदीश पिल्लई

डॉ. जगदीश पिल्लई  एक उत्साही पाठक, लेखक और सच्चे शोध विद्वान है जिनका का जन्म भगवान शिव के नगरी वाराणसी में हुआ था। वह वैदिक विज्ञान में पी.एच.डी. किया हुआ है| वह जन्मजात गुणों, रचनात्मक विचारों और कई उल्लेखनीय उपलब्धियों के साथ एक बहुआयामी पॉलीमैथ है। यद्यपि उनकी जड़ें "गॉड्स ओन कंट्री" (केरल) तक फैली हुई हैं| वाराणसी के निवासी उन पर गर्व महसूस करते हैं और उन्हें वाराणसी के एक बच्चे के रूप में मानते हैं जो बिना किसी अपेक्षा के हर व्यक्ति की जरूरत को पूरा करता है। उनकी प्रोफाइल के गहन अध्ययन से पता चलता है कि उन्होंने कामयाबी के कई सारे पंख जोड़े हैं जो उन्हें काफी अनोखा बनाते हैं। वह चार अलग अलग विषयों पर चार बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपना नाम दर्ज किया हुआ है| 

उनका जीवन भी संघर्ष, उतार-चढ़ाव और असफलताओं से भरा रहा है। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आत्मविश्वास से भरे अपने सभी परीक्षणों और क्लेशों का सामना किया। आज वह एक सफल युवक है जिसके पास बहुत जोश और समृद्ध जीवन का अनुभव है।

उन्होंने अपनी ही धुन से पूर्ण रामचरित मानस 51 घंटे का ऑडियो गाया है। उन्होंने पूरी भगवद-गीता को भी अपनी धुन  में एक लयबद्ध पृष्ठभूमि के साथ गाया है।

उन्होंने 50 अलग-अलग भाषाओं में "लोका:  समस्ता: सुखिनो भवन्तु" भी गाया है।

वर्तमान में वेद, उपनिषद, पुराण, भगवद गीता आदि पर विस्तृत और वैज्ञानिक अध्ययन पर काम कर रहे हैं।

वर्तमान में, वह 'यूरेशिया डिजिटल यूनिवर्सिटी' के मानद चांसलर हैं।

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