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kataksh / कटाक्ष वास्तविकता से पिछड़तें (दूर) जातें कदम

Author Name: Dr. Vijay | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

सफलता-भौतिक उपभोग पाने के चक्कर में, मोडर्नाइज़ेशन (आधुनिकीकरण), प्रदर्शनवादी और मार्केटिंग दिखावे वाली सोच ने, सफल प्रोफेशनलिज्म बनने के चक्कर में, जल्दबाज़ी में आज हमनें कई समझौते कर लिये है. हम रिश्तोंसें, व्यवहारोसें, यथार्थवादी भूमिगत जमीनीं सच्चाईयोसें, जीवन की मुलभुत वास्तविकता से, बुनियादी सिद्धांतोसें, अपनों से ऊब गयें यां उनसे दुरी बना ली हैं. हम अपने जीवन में और अपने आसपास होने वाली गतिविधियों पर केवल एक मूकदर्शक की भांति नजर रखतें है, कभी कभार सोशल मीडिया पर अपना उगाल निकल लेते हैं. सब वैसा ही चलता आ रहा हैं और होता रहेगा. हम पढ़ेलिखेँ अनपढ़ या पढ़ेलिखेँ गंवार कहलायें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.

हम सब सच्चाईयां जानतें हैं, अपनी गलतियां भी, पर क्यां करें? की हम कुछ नहीं जानतें ?

गहराईसे विश्लेषण करें तो हम बहुत कुछ खोतेँ चले जा रहे हैं, चाहें जल्द बाज़ी में, सफलता का शिखर छूना हो या क्षणिक सुख पाना हो हम जल्दी समझौता कर रहे है जीवन की बुनियादी चीजोंसे, सुखोसें, मूल्योंसें और सिद्धांतोसें ....

इन्हें बचानें और व्यवस्था में अगर सकारात्मक बदलाव/परिवर्तन हेतू न्यायोचित बातों को समर्थन करना होगा. राजहंस की तरह सही न्यायोचित को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत रखनी होगी. सामजिक विक्षिप्तता, विसंगतियां और बुराइयां अगर गलत हैं तो गलत माननी पड़ेगीं, उनपर कडां प्रहार करना पड़ेगा और सुधारनी पड़ेगी.

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डॉ. विजय

कवी-परिचय

•         पी. एचडी. पोस्ट-डॉक्टरेट (इम्पीरियल कॉलेज, लंदन). शोध क्षेत्र-इम्यूनोडाइग्नोस्टिक्स फॉर ट्यूबरक्लोसिस. 

•         रिसर्चअनुभव => 17 वर्ष,  रिसर्च पब्लिकेशंस = > २५

•         'राष्ट्रभाषा-पंडित', महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा महासभा, पुणे 

•         भारतीय हिंदी परिषद्, प्रयाग: आजीवन सदस्यता

•         साहित्यिक योगदान (कवितायें + लेख) : 42 (27 +15)  

•         प्रकाशित पुस्तकें: सम्वेदनाओंको दस्तक, रंगभीनें मोती, प्रेम: निशब्द झरना

•         प्रकाशित कविता  'करे समाजका नव-निर्माण'- पुस्तक: 'संकल्प' 

•         कविता ‘गजगामिनी की मौत’ (एक हाथीनि की मौत): फैकल्टी ऑफ़ आईटी एंड कंप्यूटरसाइंस, पारुल 

            यूनिवर्सिटी ,वड़ोदरा गुजरात द्वारा आयोजित 'इंटरनेशनल लेवल-पोएट्री कम्पटीशन’ फर्स्ट रैंक–काव्योत्सव 

            २०२०-२1.            

•         कविता 'धीमी जिंदगी- रफ़्तार पकड़ ' अप्प्रेसिअशन सर्टिफिकेट:  सुपर ७ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय काव्य 

            प्रतियोगिता.

डॉ. विजय जगदीशचंद्र उपाध्ये

डेप्युटी डायरेक्टर, सेंटर ऑफ़ रिसर्च फॉर डेवलपमेंट

एसोसिएट प्रोफेसर, पारुल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एप्लाइड साइंसेज

पारुल यूनिवर्सिटी,वड़ोदरा, गुजरात

सेल: 6355285047, 9768583096

ई-मेल: vijayu_micro@rediffmail.com , dr.vijaysemilo@gmail.com

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