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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआज के युग मे प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन मे इतना व्यस्त है की उसके पास अपने उद्देश्य व स्वम के महत्व को जानने का भी समय नहीं है| ज़िन्दगी हमें प्रतिदिन कई तरह की समस्याओ और उलझनों से अवगत कराती है और हम अपना पूरा समय उन्हें सुलझाने मे निकाल देते है,बिना ये जाने की क्या ये जरुरी है?
मनुष्य के लिए बहुत ही सरल होता है दुसरो के व्यक्तित्व को व्यक्त करना परन्तु जब हम अपनी छवि के सम्मुख होते है तो ज्ञात होता है कि हम अपने बारे मे कुछ नहीं जानते|
मैं कक्षा 10वी मे थी जब इन सवालों ने मुझे घेरा परन्तु मैं कभी किसी परिणाम तक नहीं पहुंची| जब मैंने नर्सिंग कॉलेज मे दाखिला लिया तब हास्टल मे रहने का मौका मिला और वही मैंने जाना कि मैं कौन हूँ, मेरी खूबियां क्या है दरसल जब हम इस दुनिया से दूर और स्वम के काफ़ी नजदीक होते है तभी हमें अपनी पहचान प्राप्त होती है | आप कोशिश करें तो ये पता लगाना आसान है कि ईश्वर ने आपको किस उद्देश्य से यहाँ भेजा है, जैसे मैंने अपना उद्देश्य प्राप्त किया और प्रारम्भ कि लेखन कि वो प्रक्रिया जिसमे मैंने कोशिश कि है कि ये रचनाएँ आपको जीवन कि प्रेरणा के साथ साथ मनोरंजन भी प्रदान करें |
मुझे आज भी याद है मेरी वो पहली कविता जों मैंने अपनी सहेली के लिए लिखी थी, तभी से शुरू हुआ ये सिलसिला आज भी बरकरार है | मेरी यह किताब "काव्य पहर " एक ऐसी माला स्वरूप है जिसमे मैंने अपनी कई कविताओं के मोतियों को पिरोयाँ है, जों अदभुत भाव का मेल है व सकारात्मक सोच का प्रतिक है! इस काव्य पहर मे आपको नई सुबह का मनोबल, इंतजार करती शाम और रात मे डूबी यादों का प्रतिबिम्ब मिलेगा! ये कविताएँ मेरे भाव से जुड़ी है जिन्हे मैंने आप से मिलाने का एक छोटा प्रयास किया है|
अंजलि शर्मा
जब मैंने नर्सिंग कॉलेज मे दाखिला लिया तब हास्टल मे रहने का मौका मिला और वही मैंने जाना कि मैं कौन हूँ, मेरी खूबियां क्या है दरसल जब हम इस दुनिया से दूर और स्वम के काफ़ी नजदीक होते है तभी हमें अपनी पहचान प्राप्त होती है | आप कोशिश करें तो ये पता लगाना आसान है कि ईश्वर ने आपको किस उद्देश्य से यहाँ भेजा है, जैसे मैंने अपना उद्देश्य प्राप्त किया और प्रारम्भ कि लेखन कि वो प्रक्रिया जिसमे मैंने कोशिश कि है कि ये रचनाएँ आपको जीवन कि प्रेरणा के साथ साथ मनोरंजन भी प्रदान करें |
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