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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइस किताब का शीर्षक ‘काव्यालय ’रखने के पीछे एक दिलचस्प घटना है जो आप सब से साझा करना चाहूँगा। जब मेरे पास किताब को छापने के संदर्भ में संपर्क किया गया और पूछा गया कि मैं अपने किताब को क्या नाम देना चाहूँगा तो मेरे दिमाग में इसको लेकर कोई विचार नहीं था । मैंने‘Poetic Souls Publications’ से कुछ मोहलत माँगी ताकि मैं इस पर विचार कर सकूँ | परंतु तीन दिन बाद भी मेरे दिमाग में कोई शीर्षक आ नहीं रहा था। इसी बीच मुझे अपनी बचपन की एक डायरी मिली। मुझे स्कूल के समय से ही डायरी लिखने का शौक रहा है । मैं उस डायरी के पन्ने को पलट रहा था कि, तभी मेरी नज़र एक कविता के शीर्षक पर पड़ी, जिसका शीर्षक ‘काव्यालय’ था और बस उसी वक्त मैंने निश्चय कर लिया कि मेरे कविता का शीर्षक ‘काव्यालय’ ही होगा। यद्यपि मैंने इस कविता को इस किताब में शामिल नहीं किया है पर वह कविता और शीर्षक मुझे याद दिलाता रहेगा उस समय के बारे में जब मैंने सबसे पहली कविता लिखी थी। बीते कई सालों में अपने अंदर के ज़ज्बात को, अनकही बात को मैं कविता के माध्यम से पन्नों पर उकेरता गया। कभी सोचा नहीं था कि, कभी मेरी किताब भी प्रकाशित होगी। इस किताब में पाठकों को जो भी कविता मिलेगी, वह सारी कवितायें मेरे जीवन के किसी-न-किसी प्रसंग का उल्लेख करेंगी। जिसने मुझे और मेरे विचारों को किसी न किसी-न-किसी रूप में प्रभावित किया है। मेरी कविता में प्रेम, आशा, निराशा इन सबका संगम मिलेगा।मेरी हर कविता आपको एक कहानी बताएगी, आपको मुझसे रूबरू कराएगी, ऐसी मुझे आशा है।
राहुल मित्रा
राहुल मित्रा एक भारतीय लेखक जो पटना के रहने वाले है। उनका पालन-पोषण साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ है। उनका जन्म 21 जून 1990 को हुआ था । उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा किड्डी कॉन्वेंट हाई स्कूल से पूरी की एवं स्नातक आरकेड बिजनेस कालेज से किया ।17 साल की छोटी सी उम्र में ही उनके अन्दर के लेखक ने दस्तक देना शुरू कर दिया था। कुछ समय बाद उन्होनें अपने जीवन के उन पलों को लिखने का फैसला किया, जिनसे वो गुजरे थे। अपनी पहली पुस्तक “काव्यालय” में उन्होनें अपने सपने को चित्रित किया है। राहुल मित्रा ने इस पुस्तक में अपने उन पलों को लिखा है, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। उनके लेखन में कोई भी आसानी से रेखांकित कर सकता है कि वह अपने विश्वास और परिवार को अपने जीवन में सबसे महत्वपूर्ण मानते है।राहुल मित्रा के लगभग सभी कविताओं में वास्तविक जीवन के अनुभव का स्पर्श पाया जा सकता है। उनकी रचनाएँ उनके पाठकों को एक कहानी के स्पर्श से जोड़ती है, जिसे वह अपनी जीवन से जोड़ सकते है। राहुल मित्रा आंतरिक रूप से प्रेरित है क्योंकी आज कि दुनिया में जहाँ आमतौर पर मनुष्य में ध्यान कि कमी होती है, एक पेशे के रूप में लेखन को बनाए रखने के लिए पर्याप्त अच्छी कविताएँ और कहानियाँ लिखना और भी चुनौतीपूर्ण है। राहुल मित्रा एक सकारात्मक विचार के व्यक्ती है ,जिन्होंने जीवन में हार मानना नही सीखा। मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हुँ।
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