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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकाव्याँजली एक स्वरचित पुस्तक है, जिसमें जीवन के अनेक भावों तथा परिस्थियों का समायोजन है। इसके अतिरिक्त यह भी सुनिशचित किया गया है कि यह पुस्तक सभी आयु वर्ग के लिये किसी न किसी रूप में उपयोगी सिद्ध हो ।
आरम्भ की कुछ कवितायें सौम्य भाव से प्रेरित हैं परन्तु आगामी कवितायों में जीवन के तीन महत्पूर्ण भावों— असमंजसता, असमर्थता एवं वास्तविकता का समावेष है। यह जीवन मन्थन के रूप का प्रतीक है। इसके अतिरिक्त कुछ कविताएं देश भक्ति एवं स्वाभिमान आदि भावों को प्रेरित करती हैं। कुछ कविताऐं व्यंगात्मक शैली का उदाहरण हैं तो कुछ कविताओं में आधुनिक परस्थितियों का सटीक वर्णन समावेशित है।
प्रस्तुत लेखन में यह प्रयास भी किया गया है कि राजभाषा का समयोचित प्रचार- प्रसार तथा भारतीयता समावेशित हो और यह आशा भी की जाती है कि यह पुस्तक भरतीयता को प्रचुर रूप सॆ प्रोतसाहित करते हुए पाठक के हृदय को वशीभूत करेगी तथा अपने ध्येय की सफलता प्राप्त करेगी।
डॉ सतीश कुमार नंदा
डा.सतीश कुमार नन्दा का जन्म उत्तराखंड की मनोरम घाटियों के बीच बसे एक शहर- देहरादून में हुआ । इनका अध्य्यन भी वहीं पर हुआ तथा रसायन विज्ञान में पी.एच.डी. डिग्री प्राप्त की । वह मूलतः तैल एवं प्राकृतिक गैस आयोग में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत रहे।
छत्रावस्था से ही इनको हिन्दी भाषा के प्रति विशेष आकर्षण था और वह डी.ए.वी.इन्टर कालेज की “हिन्दी – परिषद ” के अध्यक्ष भी रहे। इस अवधि में राष्ट्रभाषा के अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया तथा 11 एवं 12 वीं कक्षा में “साहित्यिक हिंदी” का चयन किया।
वह तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग में एक वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत रहे तथा इस अवधी इन्होंने राजभाषा में अनेक वैज्ञानिक लेख भी लिखे तथा राजभाषा के अन्य कार्यक्रर्मों में अपना योगदान दिया।
कालांतर में दक्षिण भारत में भी हिन्दी भाषा में एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें अनेक वैज्ञानिकों ने भाग लिया। प्रस्तुत पुस्तक भी लेखक की राष्ट्रभाषा के प्रति आकर्षण की देन है।
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