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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palबालपन से गुजरते हुए यौवन की दहलीज पर कदम रखने से पहले हर बच्चे को एक बड़ी ही कठिन अवस्था से होकर गुजरना पड़ता है और यही अवस्था उसके भविष्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है| अगर उन गलियों की भूल- भुलैया से बचकर वह निकल जाता है तो जिन्दगी बन गयी नहीं तो जीवन भर वे उलझनें उसका पीछा नहीं छोड़तीं|यह है किशोरावस्था .....बचपन और जवानी के बीच का संधिकाल....हार्मोनल चेंजेज से गुजरता हुआ बड़ा ही जोखिम भरा समय| बड़ी ही विचित्र कहानी होती है - न तो मन से पूर्ण विकसित और न ही तन से पूर्ण विकसित और मजे की बात यह है कि समझते वे अपने को किसी से कम नहीं| झल्लाहट तब होती है जब उनकी गिनती न तो बड़ों में होती है और न ही छोटों में|छोटों के बीच हों तो बड़े होने का ताना और बड़ों के बीच बैठ जाएं तो छोटे होने का उलाहना| ऐसे में वे जियें तो जिएँ कैसे ?
लगभग सारा किशोर वर्ग यानी ‘टीनएजर्स’ अनेक अलग –अलग कारणों से शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का शिकार है| मन से पूरी तरह समझदार न होने के कारण प्रतिकूल परिस्थितियाँ आने पर मन में एक डर समा जाता है चाहे वह पिता की डांट का डर हो या शिक्षक की डांट का, किसी अनजान व्यक्ति की धमकी का या किसी रिश्तेदार के द्वारा अनैतिक दबाब का डर और इस भय का शासन तब तक मन पर चलता रहता है जब तक कोई सही दिशा निर्देश देने वाला नहीं मिल जाता है| मार्गदर्शक का भी कार्य भी तब तक उतना सरल नहीं होता है जब तक उन्हें वह अपने विश्वास में नहीं लेता| वर्तमान में इस उम्र के सामने इंटरनेट ,सोशल मीडिया आदि के कारण चुनौतियां और भी ज्यादा बढ़ गयी हैं| इन्हें हमारे छाँव और मार्गदर्शन की जरुरत है| 'कोई तो हमें थाम लो ' इन्हीं समस्याओं से होते हुए समाधान की एक कोशिश है |
रेणु प्रसाद
हिंदी साहित्य जगत में एक प्रतिष्ठित साहित्यकार के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली रेणु प्रसाद झारखंड प्रान्त के बोकारो स्टील सिटी की निवासी हैं |ये हिंदी साहित्य में एम. ए.हैं और यहाँ के प्रसिद्द संत जेवियर्स विद्यालय में 35 वर्षों के शिक्षण कार्य का इन्हें अनुभव है | जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखने वाली रेणु प्रसाद की अनेक कवितायें , लेख और कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है | उनकी अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ,जिनमें एक काव्य संकलन ‘अभिव्यक्ति मन की ..’ जो जीवन के रंगों को उकेरने की एक कोशिश है | इनका उपन्यास ‘नए सफ़र की ओर ’ प्रवासी भारतीय के सपनों और चुनौतियों को आधार मान कर लिखा गया है एवं उपन्यास ‘चन्द्रमहल’ एक अलग विषय रहस्यमयी प्रेमकथा परआधारित है |इनकी नवीन रचना ‘कोई तो हमें थाम लो ’एक कहानी संग्रह है जो किशोर वय के लड़के लड़कियों और उनके अभिभावकों को जागरूक करने के साथ-साथ उनके लिए एक मार्गदर्शिका भी है |
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