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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकुछ अल्फाज मेरे भी.... सुनकर आपको अचंभित तो नहीं कहता मगर अचरज हुआ ही होगा कि क्या है इसके अंदर.. मन मे विचारों की उथल-पुथल जैसे आपके अंदर हुई अभी-अभी बस उसी दृश्य को प्रदर्शित करती मेरी ये रचना विचारों की गुत्थी सुलझाती हुई
एक अलग ही रंग से रंगी हुई सुरीली सरल मधुर और थोड़ी क्लिष्ट भाषाओ से युक्त उम्मीद है आपको पसंद आयेगी
प्रतीक कश्यप
ये दुनिया ये जिंदगी और जिंदगी मे आने वाली तमाम लम्हे वो खास पल
कभी खुशियों की लहर आती है तो कुछ ग़म को अपने साथ लाती है
मगर ये जिंदगी मुझे एक रंगमंच की तरह लगता है और इस जिंदगी को जीने वाले शायद कोई किरदार ज़ो अलग अलग परिस्थितियों मे खुद को इतना सामंजस्य कर लेते है एक अलग सा रूप उसके किरदार से झलकने लगता है.. बस उसी किरदार मे जी रहा मैं भी एक सामान्य सा प्राणी हूँ...
और कोशिश मेरी बस इतनी सी है कि इस पुस्तक के सहारे इन रचनाओं के माध्यम से ज़ो मेऱा संदेश है वो व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से सभी जनों तक पहुंच सके
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