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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता का अनुभूति हो रही है कि मो० आबिद जी की पुस्तक म से माँ तक का प्रकाशन हो रहा है। मैंने पुस्तक की प्रतियो को प्रारम्भ से अन्त तक पढ़ा है। निश्चित रूप से इसमे कोई संदेह नहीं कि लेखक का चितंन बहुत निष्ठा एवं प्रेम से भरा है जो हमारी भावनाओ को भी स्पेश कर जाता है। इस पुस्तक में लेखक ने म वर्ण से बने शब्द माँ की ममता, करूणा और त्याग के बारे अपने शब्दो मे कुछ लिखने का प्रयास किया है। माँ की महानता के बारे में जो भी लिखा जाये कम है लेखक ने मॉ के प्रति अपनी भावनाओ को अपने दर्द को कागज पर समेटने का प्रयास किया है लेखक ने अपनी पुस्तक म से माँ तक मे म वर्ण से बने हर शब्द का अपना अलग-अलग महत्व बताते हुए एक अलग तरह का सग्रह दिया है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि म वर्ण से कितने शब्द जो हम आप की सोच से परे। यह पुस्तक समय के हर पहर, समाज के हर वर्ग, जीवन के एहसास को सदा छूती रहेगी।लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम अपना विचार रखा है शब्दो के चयन में कहीं-कही गलतियाँ हो गयी। अतः आप सबसे अनुरोध है कि इसे माफ करते हुए अपना आर्शिवाद दे। हृदय से हमारी आशीष और मंगल कामना मो० आबिद जी के साथ है मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
मो. आबिद सिद्दीकी
मुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता का अनुभूति हो रही है कि मो० आबिद जी की पुस्तक म से माँ तक का प्रकाशन हो रहा है। मैंने पुस्तक की प्रतियो को प्रारम्भ से अन्त तक पढ़ा है। निश्चित रूप से इसमे कोई संदेह नहीं कि लेखक का चितंन बहुत निष्ठा एवं प्रेम से भरा है जो हमारी भावनाओ को भी स्पेश कर जाता है। इस पुस्तक में लेखक ने म वर्ण से बने शब्द माँ की ममता, करूणा और त्याग के बारे अपने शब्दो मे कुछ लिखने का प्रयास किया है। माँ की महानता के बारे में जो भी लिखा जाये कम है
लेखक ने मॉ के प्रति अपनी भावनाओ को अपने दर्द को कागज पर समेटने का प्रयास किया है लेखक ने अपनी पुस्तक म से माँ तक मे म वर्ण से बने हर शब्द का अपना अलग-अलग महत्व बताते हुए एक अलग तरह का सग्रह दिया है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि म वर्ण से कितने शब्द जो हम आप की सोच से परे। यह पुस्तक समय के हर पहर, समाज के हर वर्ग, जीवन के एहसास को सदा छूती रहेगी।
लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम अपना विचार रखा है शब्दो के चयन में कहीं-कही गलतियाँ हो गयी। अतः आप सबसे अनुरोध है कि इसे माफ करते हुए अपना आर्शिवाद दे। हृदय से हमारी आशीष और मंगल कामना मो० आबिद जी के साथ है मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
विमलेश श्रीवास्तव
जवाहर विहार कालोनी मलिकमऊ कालोनी रायबरेली
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