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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘नारीत्व का अनोखा रूप - माँ’ 30 लेखकों के सुंदर लेखन का संकलन है, जिसे ‘अनु अब्राहम’ ने संकलित किया है। इस पुस्तक की आधारशीला भी मातृत्व की सुंदरता और एक माँ के लिए प्यार के इर्द-गिर्द घूमती है। शीर्षक के अनुसार नारी स्वयं ईश्वर की सबसे विशेष रचना है। पीढ़ियों को आगे ले जाने और दुनिया के संतुलन को बनाए रखने के उद्देश्य से उनका अभिषेक किया जाता है। एक महिला की खासियत और सुंदरता माँ बनने पर और अधिक मजबूत और शक्तिशाली हो जाती है। एक माँ बनना एक महिला के लिए एक आशीर्वाद और विशेषाधिकार है, और पवित्र मातृ प्रेम को प्राप्त करने में सक्षम होना और भी अधिक आनंदमय अनुभव है।
जब हम माँ या मातृत्व शब्द की बात करते हैं, तो इसके कई गहरे छिपे हुए अर्थ और भावनाएँ होती हैं जिन्हें मानव मन नहीं माप सकता। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारी जैविक माँ, जिसने हमें जन्म दिया और हमें इस दुनिया में लाया, हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण और अपूरणीय व्यक्ति है। लेकिन कुछ और भी ऐसे खूबसूरत लोग हैं, जो एक माँ की तरह हैं, बिना शर्त प्यार करने वाले, साथ देने वाले, क्षमा करने वाले और जैविक माता-पिता के रूप में त्याग करने वाले। उनका सम्मान करने और उन्हें माता मानने में कोई बुराई नहीं है। उदाहरण के लिए, एकल माताएँ हैं, जो गोद लिए हुए बच्चे को दुनिया की किसी भी चीज से अधिक प्यार करती हैं, या कोई बुजुर्ग भी हो सकता है। जो महिलाएं हमारे परिवार में या हमारे अन्य रिश्तों में माँ की तरह हो सकती हैं, जो जरूरी नहीं कि खून के रिश्ते हों पर वे भी तो माँ है, और उसी प्यार और प्रशंसा के पात्र हैं, मैं इस विचारधारा में दृढ़ता से विश्वास करती हूँ कि सभी माताएं विशेष हैं।
अनु अब्राहम
अनु अब्राहम एक युव नवोदित लेखिका है। वह लिखने-पढ़ने के बहुत शौकीन है। वह एम.ए इंग्लिश प्रथम वर्ष की विद्यार्थी हैं। उन्होंनें महर्षी दयानंद विश्वविद्यालय से बी.एड़ किया है। उन्होंनें अपनी स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय की जीसस एंड मेरी कॉलेज से किया है। वह मानती है कि जब कलम और जज़्बात साथ मिल जाए तो उसका परिणाम एक अतिसुन्दर सृष्टि होता है। इसी विचारधारा ने उन्हे काव्य, निबंध, लघु कथा इत्यादि लिखने के लिए प्रेरित किया। वह अपने जीवन के हर उपलब्धी का और हर खुशी का श्रेय अपने प्रिय अध्यापिकाओं को देती हैं। उनका कहना है कि वे लोग उनके लिए ईश्वर समान हैं।
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