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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकहते हैं कि हर इंसान को अपनी जिंदगी में मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़zता है, कुछ लोग ऐसे कठिन परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देते हैं और कुछ लोग अपनी जिंदगी में आने वाली मुश्किल परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते हैं | बात जब किसी मर्द की हो, तो लोग उसके बारे में खुलकर बोलते हैं और खुलकर उसकी तारीफें करते हैं. लेकिन जब एक महिला अपनी जिंदगी में आने वाली मुश्किल परिस्थितियों का सामना करती है, तो वह अपनी तकलीफें किसी से भी बयां नहीं कर पाती है | उसकी परेशानी को न कोई समझ पाता है और न ही उसके कंधे पर कोई हाथ रखकर उस महिला का हौसला बढ़ाता है. लेकिन बावजूद इसके वह महिला अपनी हर तकलीफ को नजरअंदाज कर, अपनी हर ग़म को भूलकर भी मुस्कुराती है |
मृत्युंजय पोद्दार
मैं मृत्युंजय पोद्दार, झारखंड राज्य का रहनेवाला हूं | बचपन से अपनी दोनों टांगों से विकलांग होने के कारण चलने फिरने में असमर्थ हूं | जीवन की शुरुआती दिन काफी अच्छी रही, लेकिन बदलते समय के साथ मुश्किलों का दौर शुरू हो गया | हर दिन यह सोचता था कि अगली सुबह क्या होने वाला है | पता नहीं अगली सुबह मुझे किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है | मेरी मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी, उनसे मैं अपनी मन की बात साझा कर पाता था, लेकिन मां के गुजरने के बाद ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने अपनी बेस्टफ्रेंड को खो दिया था | 18 साल की उम्र में जब मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मुश्किलों से लड़ना ही मेरी नियति में लिखा है, तब मैंने पूरी शिद्दत से अपने जीवन में आने वाले हर कठिन परिस्थितियों का सामना किया. शब्दों में तो देवी सरस्वती जी का वास होता है और यही वजह है कि मैंने किताब लिखना शुरू किया. क्योंकि यही मेरा अपने कर्म के प्रति सम्मान था और मेरी सच्ची पूजा भी |
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