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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमैं भी भारत उपन्यास हाशिए पर खड़े उन लोगों की कहानी हैं जिन्हें इतिहास के पन्नों में उतनी जगह नहीं मिली जितने के वे हकदार थे। भगत सिंह को जब फाँसी हुई तो वह लेनिन को पढ़ रहे थे, एक इंकलाबी दूसरे इंकलाबी से मिल रहा था। उस दिन उन्होंने एक सफ़हा मोड़ा था और आज उस सफ़हे को खोलने की जरूरत है। यह उपन्यास उस सफहे को खोलने और पढ़ने का एक प्रयास है। इस बार मेरे इस उपन्यास में शब्दों का वार्तालाप देश की मिट्टी से होगा, जहाँ से जन्म लेती है एक उम्मीद, जिसके आधार पर ही तो धरती का समस्त जीवन टिका हुआ है। मिट्टी से जुड़े कई सवाल जिनका जवाब सदियों से किसी भी व्यक्ति या सरकार के पास नहीं है, शायद उन सवालों के जवाब आपको इन शब्दों के सागर में डूबने से प्राप्त हो जाएँ क्योंकि गहरे सवालों के जवाब गहराई में उतरने से ही प्राप्त होते हैं।
समय बदलता रहा है और आगे भी बदलता रहेगा। शायद ही ज़मीन से जुड़े सवालों के जवाब कोई दे पाए ! क्योंकि मिट्टी से दूर रहकर मिट्टी के सवालों के जवाब दिए ही नहीं जा सकते ? और न ही समझा जा सकता हैं उन सवालों के गहरे अर्थों को? इनके अर्थों को जानने के लिए हमें मिट्टी में रहकर मिट्टी का होना पड़ता है और जंगल में रहकर जंगली बनना पड़ता है। इनसे दूर रहकर उनके अधिकारों के प्रति हम संवेदनशील नहीं हो सकते।
इस बार मैंने ज़मीन में कुछ शब्दों को बोने की कोशिश की है ताकि कुछ सवालों के जवाब पौधे बनकर उग जाएँ और चीख-चीख कर बहरों के कान के परदे फाड़ दें, जिन्हें सुनाई नहीं देता उन बेबस आवाज़ों का दर्द। देश के ग्रामीण परिवेश से लेकर शहर की समस्याओं से जूझते कुछ सवाल चरित्र बन आपके सामने इस उपन्यास में अब हाज़िर हैं।
अजय सिंह राणा
हरियाणा साहित्य अकादमी और चंडीगढ़ साहित्य अकादेमी से बेस्ट बुक अवार्ड विनर लेखक और स्क्रिप्ट राइटर अजय सिंह राणा का जन्म 01 फरवरी 1979 को करनाल जिले के गाँव गोंदर में हुआ था। इनका पालन पोषण और आरम्भिक शिक्षा शहर घरौंदा में हुई और उच्चतर शिक्षा के लिए इन्होंने करनाल, जम्मू विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, इग्नू विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में अध्ययन किया। चार विषयों (भूगोल, शिक्षाशास्त्र, हिंदी साहित्य और मनोविज्ञान) में स्नातकोत्तर डिग्री, बी.एड., आपदा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, और अंग्रेजी शिक्षण में स्नातकोत्तर सर्टिफिकेट कोर्स आदि डिग्रियां प्राप्त करके शैक्षिक दृष्टि से सम्पन्न यह रचनाकार आज समकालीन हिंदी साहित्य में किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है। ये एक संवेदनशील लेखक माने जाते हैं।
प्रसारण : आकाशवाणी और आज तक टीवी चैनल' के साहित्य तक कार्यक्रम में कहानी और कविताओं का प्रसारण।
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन : हंस, 'नया ज्ञानोदय, 'अहा जिंदगी, हिंदी आउटलुक, रसरंग, मधुरिमा, हरिगंधा, पुष्पगंधा, दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक जागरण आदि ।
सम्मान :श्रेष्ठ कृति पुरस्कार 2019 (तेरा नाम इश्क उपन्यास को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा), चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा 'बेस्ट बुक ऑफ द ईयर अवार्ड 2020' तुम ज़िंदा हो माँ काव्य -संग्रह, बेस्ट बुक ऑफ़ द ईयर 2022 मकड़जाल -कहानी-संग्रह , राज्य कर्मचारी संस्थान लखनऊ साहित्य सम्मान, जयपुर साहित्य सम्मान 2022, 2023, करनाल और जींद की साहित्यिक संस्थानों द्वारा साहित्य सम्मान
प्रकाशित पुस्तकें :
उपन्यास (ख़ाली घरौंदे, तेरा नाम इश्क़, मैं भी भारत )
कहानी-संग्रह-मकड़जाल,तीन काव्य-संग्रह (उम्मीद के किनारे, भीगे हुए ख़त, तुम ज़िंदा हो माँ)
लघु शोध कार्य : उपन्यास ख़ाली घरौंदे पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा
सम्प्रति : अध्यापक, चंडीगढ़ शिक्षा विभाग
ईमेलःranageographer@gmail.com
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