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Main Saadhu Nahin / मैं साधु नहीं

Author Name: Raj Rishi Sharma | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

 साधु, सन्यासी, संत, महात्मा या ऋषि मुनियों के जीवन को समझने में तो सहायता मिलती ही है बल्कि पाठक को अपने जीवन के लिए भी प्रेरणा एवं उचित मार्गदर्शन की प्राप्ति होती है। जिससे पुस्तक में समय समय पर ज्ञान तथा अनुभव से अपने मतानुसार किसी भी विचारधारा का विश्लेषण, परिवर्तन तथा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास एवं परिणाम अत्यंत रोचक है।  पुस्तक में किसी मत विशेष पर प्रहार करना लेखक का उद्देश्य कदापि भी नहीं रहा है। जो सही नहीं है, वो कभी भी सही हो ही नहीं सकता। इसीलिए जो सही है सदैव उसी पर ही उचित मनन एवं विश्वास भी किया जाना चाहिए। उसी के अनुरूप ही अपना मत बनाइए तथा उसी को ही अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी करें। फिर उसी प्रकार से समय अनुसार मनुष्य को अपने आप को परिवर्तित भी करना चाहिए। यह मनुष्य के जीवन का मूल उद्देश्य है तथा इसी से उसका जीवन भी वास्तव में सार्थक हो सकता है। यह ही इस पुस्तक का सार भी है एवं यह ही इस पुस्तक को लिखने का लेखक का मूल उद्देश्य भी।  

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राज ऋषि शर्मा

 राज ऋषि शर्मा एक जाने माने लेखक, कवि तथा साहित्यकार होने के साथ साथ ही एक अच्छे चित्रकार भी हैं। राज ऋषि शर्मा की अनेक रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं तथा संग्रहों में प्रकाशित हो चुकी हैं।इन की प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों में 'सपनों की दुनिया' (विश्लेषणात्मक) का नाम लिया जा सकता है, जो स्वप्न विश्लेषण तथा इसके संदर्भ में विस्तृत मनोविज्ञान तथा विज्ञान पर आधारित है। इसके अतिरिक्त इनकी 'सफल जीवन' नाम की प्रेरणात्मक पुस्तक भी विशेष चर्चा में है। जिसमें जीवन में सफलता के विपरीत 'सफल जीवन' पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन की अन्य पुस्तकें हैं, 'स्वप्न विश्लेषण' 'सपनों का मायाजाल'(विश्लेषणात्मक) 'बहती धारा नदिया की' का द्वितीय संस्करण 'पल भर की छाँव’ (लोक-परलोक पर आधारित रोमांटिक उपन्यास)'अदृश्य लोक’(विश्लेषणात्मक) ‘जीना इसी का नाम है’ (प्रेरणात्मक),’मैं साधु नहीं’(आध्यात्मिक),’आप स्वयं को बदल सकते है’(प्रेरणात्मक)'सुहाने पल'(काव्य-संग्रह)’चांदनी’(लघु उपन्यास) 'हर वर्ष पुनर्जन्म' (ई-बुक) एवं 'स्वप्न संसार' (ई-बुक)। अनेक विधाओं में इन की विभिन्न रचनाएँ रेडियो कश्मीर जम्मू द्वारा भी प्रसारित हो चुकी हैं। 

       राज ऋषि शर्मा १९७५ में 'महक' पत्रिका के संपादक एवं प्रकाशक भी रहे हैं एवं इसके साथ ही १९७७ में 'राजर्षि कल्चर क्लब' का संचालन भी इन की प्रमुख गतिविधियों में सम्मिलित रहा है। इन दिनों लेखन कार्य के साथ साथ 'महकती वाटिका' नामक काव्य संग्रह का श्रृंखलाबद्ध रूप से सम्पादन व प्रकाशन भी कर रहे हैं।

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