You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमैं वास्तविक हूँ
वास्तविकता से मुँह फेर लेता हूँ
“ an oft-time reading an in-time friend “
पुस्तक 177 ग़ज़लों व कविताओं का संकलन है और इसका शीर्षक “मैं वास्तविक हूँ “ एक कविता का मुखड़ा है जो आज के सभ्य समाज में मानवीय मूल्यों का सच उजागर करती है ।
प्रस्तुत रचनाओं में कुदरत और इन्सान से जुड़े जज़्बात बेसाख़्ता ही आप के साथ अपना रिश्ता क़ायम कर लेंगे।
“आया था तेरे शहर मैं तो ख़ाली हाथ
मुझे दुआ लग गई तेरी गली के फ़क़ीर से “
“चंद तसवीरें मैं ने दीवार पे सजा रखीं हैं
ऐसी ही मैंने अपनी दुनिया बसा रखी है “
“दामन में मैं ने बचा कर रखें हैं कुछ अख़्तियार
ठहरे पानी में पल रहे बिखरी यादों के सीप हैं“
कुलभूषण खुल्लर
कुलभूषण खुल्लर का जन्म-स्थान पंजाब का फ़िरोज़पुर शहर है और आज कल वो चंडीगढ़ के समीप रह रहें हैं। अपने बैंकिंग करियर के दौरान उन्हें कई प्रांतों की मिट्टी से जुड़ने का मौक़ा मिला। वह विज्ञान क्षेत्र में शिक्षित हैं और साहित्य में उनकी विशेष रुचि है। इन दोनों शैलियों का समावेश तथा उनका विभिन्न स्थानों की संस्कृति से स्पर्श उनकी रचनाओं को समग्रता और अनोखा रस प्रदान करता है।
इन की रचनाओं में गहरे अनुभवों, परिस्थितियों तथा कल्पनाओं का सुमेल एक मनमोहक रवानगी के साथ महसूस करने को मिलता है। जहाँ एक ओर इनमें करुणामयी भाव व प्रकृति की छटा है वहाँ दूसरी ओर आधुनिक यथार्थवाद की झलक है। रचनाओं में सरल हिन्दी और कुछ उर्दू के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जो इन्हें एक अलग सी ख़ूबसूरती देते हैं।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.