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MANKHI / मनखी (गढ़वाली- कुमाऊंनी काव्य)

Author Name: Harish Joshi, Anju Joshi | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

"मनखी" पूर्ण रूप से एक गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली में लिखी गई कविताओं का संग्रह है।  मैंने इस पुस्तक में संग्रहित कविताओं के माध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ो, गढ़वाल व कुमाऊ की संस्कृति का विस्तार करने का प्रयास किया है।  आज हमारे पहाड़ो की मुख्य समस्या पलायन बन चुकी है।  पलायन पर मैंने अपनी कविताओं में पहाड़ के दुःख का वर्णन करने का  प्रयत्न किया है।  इसके अलावा देवभूमि के देवताओ से समाज के कल्याण हेतु रचनाये।  नारी सम्मान से सम्बंधित कविता को शामिल किया है जिसका हिंदी रूपांतरण मेरी हिंदी काव्य पुस्तक "प्यार हूँ मैं" भी पाठक पढ़ सकते हैं।  पुस्तक में कविताओं को अलग अलग भागो में वर्गीकृत किया गया है।  मेरी गढ़वाली व कुमाऊंनी बोली की हास्य कविताओं को मैंने इस पुस्तक के अंतिम भाग में शामिल किया है। 
उम्मीद करता हूँ की पाठको को मेरी रचनाये पसंद आएंगी और उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊ की संस्कृति और बोली के विकास में सभी अपनी सहभागिता प्रदर्शित करेंगे।  जय देवभूमि उत्तराखंड।  जय हिन्द। 

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हरीश जोशी, Anju Joshi

हरीश जोशी उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित भटियाना ग्राम के मूल निवासी है। प्राम्भिक शिक्षा गौचर, अगस्त्यमुनि में पूरी हुई एवं स्नातक की पढाई हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्व दिद्यालय, गोपेश्वर से पूर्ण हुई।  पिता वन विभाग से सेवानिवृत हैं एवं माता गृहणि है।  बचपन से ही लेखनी का शौक एवं अपनी बोली व संस्कृति के प्रति प्रेम भाव के कारण  अपनी बोली व संस्कृति के विकास हेतु "मनखी" गढ़वाली-कुमाऊंनी काव्य की रचना की है।  

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