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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमरुधर प्रेम गाथा—एक ऐसी कथा, जहाँ प्रेम की अमरता, इतिहास के रहस्य और एक श्राप की छाया सदियों तक गूँजती रही। राजस्थान की सुनहरी रेत और राजसी महलों के बीच यह कहानी जन्म लेती है, जहाँ बीते समय की परछाइयाँ आज भी साँस लेती हैं।
अविनाश भाटी जीवन के अंतिम मोड़ पर हैं और चाहते हैं कि उनका परिवार उस प्राचीन श्राप से मुक्त हो, जिसने पीढ़ियों से उनकी तकदीर को जकड़ रखा है। जब उनका बेटा वैभव इस रहस्य को सुलझाने निकलता है, तो उसे मदद मिलती है कैंडिस से—एक वकील, जो तर्क और प्रमाणों पर विश्वास करती है। लेकिन जोहान्सबर्ग से जोधपुर तक का यह सफर सिर्फ तथ्यों की खोज नहीं, आत्माओं की पुकार है।
कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, भूतकाल के दरवाजे खुलने लगते हैं—राजकुमार भंवर और बंजारा लड़की नीलम का प्रेम, जिसने परंपराओं की जंजीरों को चुनौती दी, लेकिन अंत में एक श्राप का कारण बना। वैभव और कैंडिस उन रहस्यमयी संकेतों का पीछा करते हैं, जो उन्हें जोधपुर के प्राचीन महलों, रेगिस्तान के पवित्र स्थलों और उन कहानियों तक ले जाते हैं, जो इतिहास में दबा दी गई थीं।
यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि आत्म-खोज और मोक्ष की यात्रा है। कैंडिस केवल भाटी परिवार के अतीत को उजागर नहीं करती, बल्कि प्रेम और क्षमा की शक्ति को भी महसूस करती है—यह श्राप सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि मानवता की दृढ़ता और आत्माओं के बंधन की गाथा बन जाता है।
अगर आपको प्रेम, रहस्य, और ऐतिहासिक कहानियों में खो जाने का आनंद मिलता है, तो यह उपन्यास आपको हर पृष्ठ पर मंत्रमुग्ध कर देगा। क्या आप इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं?
डॉ. दीपक भूतड़ा
डॉ. दीपक भूतड़ा एक अनुभवी पेशेवर हैं, जिन्हें 30 से अधिक वर्षों का अंतरराष्ट्रीय अनुभव है। ह्यूस्टन में बसे होने के बावजूद, उनका दिल दक्षिण अफ्रीका और भारत से गहराई से जुड़ा है।
अपने परिवार और विरासत से प्रेरित, उन्होंने यह कहानी अपने बेटों, भतीजों और भतीजियों के लिए लिखी थी। अब, अपनी सशक्त मां, नीलम को समर्पित करते हुए, इसे मरुधर प्रेम गाथा के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। उपन्यास का एक महत्वपूर्ण पात्र उनकी मां के सम्मान में नामित है, जो उनके साहस और दृढ़ता का प्रतीक है।
राजस्थान के ब्लू सिटी जोधपुर में जन्मे, डॉ. भूतड़ा की जड़ें इस ऐतिहासिक भूमि की सांस्कृतिक समृद्धि में गहराई से बसी हैं। यहीं से उनकी कहानी कहने की रुचि जागी, जिसने उन्हें अतीत और वर्तमान को जोड़ने वाली गाथाएँ रचने की प्रेरणा दी।
मरुधर प्रेम गाथा के माध्यम से, डॉ. भूतड़ा पाठकों को प्रेम, दृढ़ता और राजस्थान की अनंत सुंदरता से भरी एक भावनात्मक यात्रा पर ले जाते हैं।
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