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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपुस्तक में संकलित सभी कहानियां हमारे समाज और विचारों का अक्स हैं। जिन्हें समय-समय पर हमारे आसपास घटित घटनाओं, विचारों से प्रभावित होकर लिखा गया है। सही मायने में ये हमारे समाज का आइना होती हैं जिन्हें जब भी पढ़ा जाएगा ये उस दौर के देश,काल ,समाज के प्रतिबिंब के रूप में दिखाई देंगी। पुस्तक में प्रकाशित पहली रचना कनपुन्नी का कथानक घरेलू काम करने वाली रमोली के माध्यम से एक सूत्र के रूप में बातचीत में पता चला। जब इसे अपने पन्नों पर उतारने की कोशिश की यह कहानी बन गयी। इसके पात्र कहानी की माँग पर भूत, भविष्य के गर्भ के समान सामने आते गये और एक मनोरंजक कहानी बन गयी जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की गयी थी। प्रवासी, नारियल पानी,मुनी का पिंजरा,जैसी रचनाएं हमारे समाज में घटित घटनाओं का कहानी रूपांतरण कह सकते हैं। सामने वाली खिड़की भी ऐसे ही बनी। जब रात्रि में घरों की लाइट जल जाती हैं और पर्दे खुले हुए होते हैं तब दूर से दिखाई देने वाले चेहरे स्वयं पात्र बन कर मस्तिष्क के पर्दे पर चलचित्र की तरह चहलकदमी करते हुए नजर आते हैं तब उन्हें कलमबद्ध करना आवश्यक कर्म बन जाता है। पढ़ना मुझे स्फूर्ति और प्रेरणा देने लगा वहीं लिखना मेरा व्यसन बनता गया। जिसे न तो मैंने ही समझ पाया और न ही यह किसी और के संज्ञान में आ सका । अब यह तो पढ़ने वाले पाठक ही बता सकते हैं कि यह लेखन अच्छा है या नहीं। सभी के विचारों का खुले दिल से स्वागत है।
मीरा परिहार
नाम- मीरा परिहार
शिक्षा- एम.ए. राजनीति शास्त्र एवं विधि स्नातक
विविध साहित्यिक संस्थाओं में पंद्रह वर्ष से अनवरत सहभागिता... आगरा महानगर लेखिका समिति, साहित्य साधिका समिति,उत्तर प्रदेश लेखिका मंच, संस्थान संगम मासिक पत्रिका,विश्व मैत्री मंच ... ताज लिटरेचर क्लब.. समानांतर मासिक पत्रिका . संस्थान संगम मासिक पत्रिका एवं
हिंदी प्रतिलिपि एप पर सक्रिय भागीदारी।
लगभग दस साझा संकलन में सहभागिता....
*आकाश वाणी आगरा अनेक बार काव्यपाठ।
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