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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह काव्य संग्रह अपने हृदय में साहस, करुणा, उत्साह ,प्रेम सम्मान आदि भावनाओं को समेटे, आपकी अंगुलियों के स्पर्श ,आंखो की एक दृष्टि, होठों के गुनगुनाहट के लिए आकुल व्याकुल सा आपके समक्ष प्रस्तुत है।इसमें जीवन में विविध सोपानों के उतार चढ़ाव और अनुभवों के भावों को पंक्तिबद्ध करने का प्रयास किया है।यह काव्य प्रत्येक आयुवर्ग के स्वजनों के लिए पठनीय है।
तुम बैठोगे , जब हताश होकर मन में हारे से ,
गूंजेंगे मेरे गीत , तुम्हारे कानों में धीरे से।
चलो- चलो, चलना है थोड़ा , आगे बस मंजिल है ,
राहें देख रहीं पग तेरे , बाट निरखता दिल है।
मैं तो नहीं रहूंगा , मेरे अमर रहेंगे गीत ,
कुछ पल जी लूं , फिर जाना है , यह जग की है रीत।
जब भी पलकें खोलोगे , पाओगे मेरे गीत।
सुव्रत शुक्ल
देवों की अवतरण एवं कर्मभूमि, आर्यावर्त की पावन धरा पर दिनांक 11 नवंबर 1998ई. (मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष अष्टमी विक्रम संवत 2055) को उत्तर प्रदेश राज्य के प्रतापगढ़ जिले के सांगीपुर स्थित पूरे पयाग ( देऊम पश्चिम) ग्राम में सुव्रत शुक्ल का जन्म हुआ। इनके पिता श्री राज करन शुक्ल निकटस्थ राजाराम किसान इंटर कॉलेज में विज्ञान शिक्षक हैं तथा माता श्रीमती कुसुम शुक्ला कुशल गृहणी हैं। आपकी प्राथमिक शिक्षा स्थानीय कमला शिक्षा निकेतन तथा बाद में इंटरमीडिएट की शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर लालगंज से पूर्ण हुई। माध्यमिक शिक्षा के उपरान्त आपने बीएससी गणित विषय में तथा बाद में प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा किया। साहित्य में विशेष रुचि होने के कारण परास्नातक संस्कृत विषय में किया तथा काव्य एवं साहित्यिक रचनाओं में पदार्पण किए । “जब मैं शिक्षक बन जाऊंगा” कविता से आपने काव्य लेखन का आरंभ किया। आपकी रचनाएं मनोरम, उत्साहभाव संपन्न, आशावादी, मर्मस्पर्शी तथा ऊर्जा एवं चेतना से परिपूर्ण हुआ करती हैं। आपकी रचनाओं में ‘मेरे सपने’, ‘बेरोजगारों का नववर्ष’, ‘मेरे गीत’, ‘कोशिश और परिणाम’, ‘घरवाली’, ‘यदि लक्ष्य तुम्हारा नशा नहीं’, ‘संघर्ष’, ‘तनाव’, ’विवेक’, ' वक्त ' आदि प्रमुख हैं।
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