Share this book with your friends

Murchchhana ke svar (Poetry collection) / मूर्च्छना के स्वर (कविता संग्रह)

Author Name: Dr. G. Bhakta | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

जिस देश का अतीत उपनी स्वर्णिम विभूति एवं संस्कृति की गाथा गाते दैविक सम्पदा पर गौरवान्वित रहा उसकी अनवरत विकास की परम्परा में आसुरी प्रवृति और बौद्धिक अवनति से मानव विनाश की ओर बढ़ चला।

आज उसकी चिन्तन चातुरी ने दीनता को आमंत्रित की, शान्ति, प्रगति, प्रीति, शुचिता और समरसता खो दी, वीरों की कुर्वाणी से धरती दहल उठी तो विश्व की मानवता आतंकित और मूर्च्छित अपने रूडन को रोक नही पा रही।

गुलामी की गर्त ने "भारत दुर्दशा" पर साहित्यकारों और कवियों सेनानियों को स्वर प्रदान कर स्वतंत्रता के आहान का विगुल फूका तो आज इस अज्ञानता और स्वार्थ परता की धन घटा को दूर करने हेतु सिर्फ आवाज नहीं प्रयास की निवान्त आवश्यकता है। इसके लिए तो भूषण, कवि चन्द और दिनकर जैसा शौर्य भरा सम्वाद का ही उदघोष चाहिए। नयी पीढ़ी को अवसाद व्याग कर उठना और आगे बढ़ना चाहिए। यह भाव डा. जी. भक्त की शैक्षिक सोच, सेवा कार्य और देश प्रमम से उपजा विचार वैभव युवा मानस और छात्र छात्राओं के लिए समर्पित है।

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

डा. जी. भक्त

डा. जी. भक्त अपनी साहित्यिक सेवा को समाज के लिए समर्पित किया है जिसमे शिक्षा, समाज कल्याण और चरित्र निर्माण का ही लक्ष्य निखरता है।

 जहाँ भक्त जी की होमियोपैथिक औषधियाँ रोग निवारक है वैसी ही उनकी कविताएँ भी जीवन दायिनो है। काव्य का निहितार्थ सत्ता पर आरोप के उद्घोष नहीं, नागरिकों के सम्बनधों में विश्वास जगा पाने की शिष्ट कल्पना है। कवि देश में जनतंत्र की सुदृढ़ नीव के समर्थक हैं।

मैं आशा एवं विश्वास दोनों ही दृष्टि से कामना करता हूँ कि शिक्षा के परिवेश में प्रकृत्या आती गिरावट को नयी ऊर्जा प्रदान करने में डा. जी. भक्त की हिन्दी एवं अंग्रेजी में प्रस्तुति अपनी सार गर्मिता लालित्य और युगधर्म के लिए अवश्य सराही जायेगी।

Read More...

Achievements

+4 more
View All