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Narayanam / नारायणम्

Author Name: Smt.Kumari Rupa | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

इस पुस्तक की रचना राम कथा, और भागवत पुराण की कथा, को पद्य वद्ध करते हुए यथार्थ ज्ञान बच्चों तक पहुँचने के उद्येश्य से किया गया है। राम या कृष्ण के अनेकों चरित्र रामायण या भागवत पुराण में वर्णित हैं, जिसे कविता रूप में पढ़ कर बच्चे सरलता से इन चरित्रों को समझ सकें गे साथ ही ईश्वर की वास्तविकता को भी हृदयासात कर पाएंगे, तब जीवन जीने का नजरिया बदल जाएगा--- “अनल जैसे हों काष्ठ में प्रभु तेरे हृदय में’’। यह एक अखंड धार्मि कता की भावना है जो बच्चों में नींव रूप में पाठ्यक्रम के माध्यम से डालना चाहिए। रचनाकार भी (Real devinity) विश्व व्यापक धर्म में ही विश्वा स रखती हैं। परंतु जिन्हें जो धर्म संस्कार जन्म रूप में मि ला हो उसका सम्मान करते हुए सबको एक समझना चाहिए। जैसे सबों के अलग अलग माता पि ता होने पर भी सभी संतान और अभि भावक का एक समान ही उत्तरदायित्व होता है, उसी प्रकार हम सब अलग अलग प्रभु की माया को स्वीकारते हुए भी एक ही अमर्त्य की ओर प्रेरित होते हैं।

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श्रीमती कुमारी रूपा

प्रथम बहाली एक सरकारी कालेज में पी जी और आनर्स कोर्स के लिए हिन्दी टीचर के रूप में। परंतु अफसोस कुछ समय पश्चात बच्चों के भविष्य के लिए पद का त्या ग कर उनके भविष्य का चयन किया। फिर कुछ लंबे समय तक एक नर्सरी स्कू ल चलाया, जहां उन्हें बहुत प्रतिष्ठा भी मि ली। पर उसे भी छोड़ना पड़ा और पति के निधन के बाद बड़े पुत्र के साथ बंबई शिफ्ट करना पड़ा । वहीं फिर अपनी सोई हुई रुचि जाग्रत हो गई और लगभग दो सौ से ज्यादा कविताएं, दर्ज नों कहानियाँ उपन्यास की रचना किया पर अभी तक यह सब प्रकाशित नहीं हो पाया है। इसी बीच अंगि का रामचरित मानस के तरफ झुकाव हो गया। यह अंगि का राम चरित मानस काफी सफल रचना मानी जा रही है। सारे ही विद्वान इसे एक महाकाव्य के रूप में स्वीकार रहे हैं। यह अभी मार्के ट में भारत के साथ ही साथ अन्य देशों के बाजारों में उपलब्ध हो चुका है। अब अपनी दूसरी रचना भी लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने को मन तत्पर है।

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