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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palदोहे मध्यकालीन युग से ही हिंदी कवियों की एक प्रिय विधा रही है। हम सभी बचपन से ही कबीर, तुलसी, बिहारी, रसखान तथा गुरु नानक आदि के दोहे पढ़कर अभिभूत होते रहे हैं। यह पुस्तक कवि द्वारा आध्यात्म, नीति, जीवन यात्रा तथा हमारे जीवन में गुरु, माता- पिता प्रेम तथा वृक्ष आदि के महत्व पर रचित लगभग 315 दोहों का गुलदस्ता है जिनमें कवि ने गूढ़ विषयों को अपनी एक अलग ही दृष्टि से देखने और प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। प्रत्येक दोहा अपनी एक अलग ही ख़ुशबू लिए हुए है।
अपने मन में सरोवर अपने मन कैलास ।
मारा मारा क्यों फिरे ले डुबकी पा उल्लास।।
नौ दरवाज़े फकत छलावा कहीं नहीं ले जाय।
असली मारग दसवीं खिड़की खुले दरस करवाय।।
पुनीत पाठक
श्री पुनीत पाठक भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं तथा बेंगलुरु में अपर प्रधान मुख्य अरण्य संरक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
20 फ़रवरी 1962 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में उनका जन्म हुआ तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। अध्ययन करते हुए उन्होंने हिंदी तथा अंग्रेजी में लिखना प्रारम्भ किया। उन्होंने विभिन्न विषयों पर बहुत सी कविताओं की रचना की है। अपने कार्यक्षेत्र में उन्हें प्रकृति को बहुत करीब से देखने और जानने का अवसर मिला तथा उनकी कल्पनाओं को पंख मिले। उनकी भाषा बड़ी सीधी - सादी खड़ी बोली है तथा उसमें हिन्दुस्तानी एवं उर्दू के शब्दों का भी सम्मिश्रण रहता है। उनका लेखन स्वंत सुखाय है।
कई वर्षों से निरंतर फेसबुक पर अपनी रचनाएं प्रकाशित करते रहे हैं किन्तु यह उनकी पहली कृति है। इस में आध्यात्म, नैतिकता, आत्मा, जीवन यात्रा, हमारे जीवन में गुरु, माता पिता वृक्ष तथा प्रेम आदि का महत्व तथा अन्य विषयों पर उनके द्वारा लिखे गए लगभग 315 दोहों को सम्मिलित किया गया है।
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