मन की बात
नमस्कार मित्रों, अपने चारों ओर जो प्रतिदिन घटित हो रहा है उसे मैंने अनुभव किया और समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से सभी सामाजिक मुद्दों को, विकृतियों को एक-एक लघुकथा का रूप दिया है। इन्हे पढ़कर आपको आभास होगा कि हम आज भी किन छोटी-छोटी बातों को सरलता से उपेक्षित किए जा रहे हैं जो एक समय के बाद समस्या बनकर विकराल रूप में हमारे सामने आ खड़ी होती है।तब हम इनसे उबरने के उपाय ढूंढते हैं। क्यों न समय रहते सचेत हुआ जाए? इस प्रश्न के उत्तर से