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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palगीत की रचना-प्रक्रिया बड़ी विशिष्ट एवं जटिल है। सौन्दर्य के उपासक जब अपनी कल्पना-मूर्ति में प्राण भरते हैं, स्पर्शों में निहित कम्पन को पवित्र नाम देने का प्रयास करते हैं, हृदय की वीणा से मुखरित होने वाले शब्द जब युवावस्था में पदार्पण करते हैं; उन स्मरणीय क्षणों में, तब, जीवन के रस से अभिसिंचित गीत एवं कविता जन्म लेते हैं।
गीत और कविता की अपनी-अपनी सीमाएँ तथा मर्यादाएँ होती हैं। गीत जहाँ स्वर की परिधि में आबद्ध रहकर, संगीत के साथ लय-बद्ध होकर स्वयं को अभिषिक्त करते हैं, वहीं कविता पद्यात्मकता के आवरण में छन्द और मात्रा के कड़े अनुशासन में रहते हुये पूर्णता प्राप्त करने को बाध्य होती है।
इन्द्रधनुष की सप्तवर्णी रंग – माला ब्रह्मांड-विश्व–संसार में विद्यमान सभी प्रकार के रंगों को परिभाषित करती है – ऐसा हमारा विश्वास है। किन्तु, वास्तव में क्या हम सर्वत्र व्याप्त सभी प्रकार के रंगों को इन्द्रधनुष की सीमा-रेखा में बाँध सकते हैं? क्या असंख्य रंगों को केवल ‘सात रंगों’ में समेटना सम्भव है?
कवि कविता की रचना करते समय जब गहन चिंतन-मनन में लीन होकर अपनी चेतना को केन्द्रित करता है, तो प्रायः अपने आस-पास के परिवेश में उसे शब्द तैरते हुए, विचरण करते हुए दिखाई देते हैं। इन्हीं शब्दों को ग्रहण करके यथासम्भव अपनी क्षमता के अनुसार वह अपनी कविता में उन्हें गढ़ने का प्रयास करता है। परन्तु, क्या यह सम्भव है कि वह सभी तैरते-मचलते हुए शब्दों को पकड़कर छन्द तथा मात्रा के बन्धन में बाँध ले? साथ ही, उनकी चंचल प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, क्या उनकी मौलिकता के साथ यह न्याय-संगत होगा?
और, यहीं से जन्म होता है, कविता के दूसरे – नए स्वरूपों का, जो जाने जाते हैं – गद्यगीत, आधुनिक कविता, अतुकान्त कविता के नाम से। कविता के ये रूप शब्दों की मौलिकता को अक्षुण्ण रखते हुए छन्द एवं मात्राओं की संख्या के बंधनों से पूर्णतः मुक्त होते हैं।
वेद प्रकाश यजुर्वेदी
वेद प्रकाश यजुर्वेदी
कृतियाँ प्रकाशित: 1. तुम कर दो संकेत (काव्य संग्रह), 2. सुगन्ध माटी की (छन्द संग्रह)
सम्पादित: 1. अविरल बहे नीर (दोहा संग्रह), 2. चेतना के दीप (कविता संग्रह)
शोध लेख:
• ‘योजना’ पत्रिका (योजना आयोग) में बाल श्रम पर लेख प्रकाशित
• इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रिकल एंड इलैक्ट्रानिक्स इंजीनियर्स के जर्नल में शोध लेख प्रकाशित
• सामाजिक सुरक्षा पर ‘लेबर एंड डेवलपमेंट’ में तथा सिनेमा श्रमिकों पर ‘द इंडियन जर्नल ऑफ लेबर इकोनोमिक्स’ में शोध लेख प्रकाशित
अन्य: अनेक पत्र-पत्रिकाओं में काविताओं-गीतों का प्रकाशन; आकाशवाणी से कविताओं का प्रसारण; अनेक काव्य-मंचों से गीतों का पाठ; कक्षा छः से ही काव्य रचनाकार; स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय स्तर पर अनेक प्रतिस्पर्धाओं में अगणित प्रथम पुरस्कारों से विभूषित, सरिता-मुक्ता विश्वविद्यालय प्रतिनिधि; विश्वविद्यालय में छात्रावास, विभागीय एवं विश्वविद्यालय पत्रिकाओं का सम्पादन; मशीन टूल प्रोटोटाइप फैक्ट्री, अंबरनाथ में हिंदी पत्रिका ‘प्रज्ञा’ एवं त्रिभाषीय पत्रिका ‘सृजन’ का अनेक वर्षों तक सम्पादन; आयुध निर्माणी मुरादनगर में ‘आभा’ पत्रिका का सम्पादन; श्रम मंत्रालय, भारत सरकार में कल्याण आयुक्त (मुख्यालय) के पद पर आसीन होकर अनेक श्रमिक कल्याणकारी योजनाओं का शुभारम्भ; निदेशक (बाल श्रम), भारत सरकार के रूप में बाल-श्रम उन्मूलन के लिए अनथक प्रयास एवं दसवीं पंचवर्षीय योजना को अंतिम रूप दिया; अनेक विशिष्ट अवसरों पर स्मारिकाओं का सम्पादन; विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा आयोजित अनेक कार्यशालाओं एवं सम्मेलनों में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व; वी. वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान,नौएडा के महानिदेशक के रूप में संस्थान की विभिन्न गतिविधियों को नए आयाम देकर संस्थान को शिखर तक पहुँचाया; अध्यक्ष, आयुध निर्माणी बोर्ड के कार्यकाल में सशक्त नेतृत्व प्रदान करके अनेक नई पहल के साथ संगठन को नये आयाम दिये; सेवानिवृत्ति के उपरान्त जुलाई 2019 से जुलाई 2022 तक आई.आर.ई.एल. इंडिया लिमिटेड में स्वतन्त्र निदेशक के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया।
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